सरकारी योजनाओं के साथ जैविक खेती को प्रोत्साहन

 

सरकारी योजनाओं के साथ जैविक खेती को प्रोत्साहन

प्रस्तावना

जब खेती की बात की जाती है, तो रासायनिक खादों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी और पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। इन समस्याओं के समाधान के लिए जैविक खेती एक बेहतर विकल्प है। जैविक खेती न केवल पर्यावरण को संरक्षित करती है, बल्कि यह किसानों को भी आर्थिक रूप से सशक्त बनाती है। भारतीय सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इस लेख में, हम यह जानेंगे कि सरकार किसानों की मदद कैसे करती है, जैविक खेती की पूरी प्रक्रिया क्या है, किसानों को इसमें किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, और जैविक खेती से आय कैसे बढ़ाई जा सकती है।

सरकारी योजनाएं जो जैविक खेती को बढ़ावा देती हैं

       भारत सरकार और राज्य सरकारें किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए कई योजनाएं और सब्सिडी प्रदान करती हैं। ये योजनाएं किसानों को आर्थिक सहायता, प्रशिक्षण, और संसाधन उपलब्ध कराती हैं।

     1. परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY)

       यह योजना किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से शुरू की गई है। इसमें किसानों को जैविक खाद, कीटनाशकों, और बीजों के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है। इसके तहत किसानों को जैविक उत्पाद प्रमाणन के लिए भी सहायता प्रदान की जाती है।

     2. मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट (MOVCD)

      यह योजना विशेष रूप से पूर्वोत्तर भारत के किसानों के लिए है। यह किसानों को जैविक खेती के लिए तकनीकी और आर्थिक सहायता प्रदान करती है। इसके माध्यम से किसानों को उनके उत्पादों के लिए बाजार भी उपलब्ध कराया जाता है।

     3. राष्ट्रीय जैविक खेती मिशन (NPOF)

       यह योजना किसानों को जैविक खेती के लिए प्रशिक्षित करती है और उन्हें जैविक खाद और कीटनाशकों के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करती है। इसके तहत किसानों को कंपोस्ट खाद और वर्मी-कंपोस्ट उत्पादन के लिए भी सहायता दी जाती है।

जैविक खेती की प्रक्रिया

       जैविक खेती शुरू करने के लिए किसानों को निम्नलिखित चरणों का पालन करना पड़ता है:

      1. मिट्टी की जांच और तैयारी

        जैविक खेती शुरू करने से पहले मिट्टी की जांच करना आवश्यक है। किसानों को यह सुनिश्चित करना होता है कि मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध हैं। रासायनिक खादों के बजाय जैविक खाद, जैसे गोबर खाद और वर्मी-कंपोस्ट, का उपयोग किया जाता है।

     2. जैविक बीजों का चयन

       जैविक खेती में केवल प्रमाणित जैविक बीजों का उपयोग किया जाता है। इन बीजों को उगाने के लिए रासायनिक कीटनाशकों के बजाय प्राकृतिक तरीकों का उपयोग किया जाता है।

    3. फसल प्रबंधन

     फसल प्रबंधन में खरपतवार नियंत्रण, सिंचाई, और कीट प्रबंधन शामिल है। इसके लिए जैविक तरीकों, जैसे नीम का तेल और बायो-पेस्टीसाइड्स, का उपयोग किया जाता है।

    4. फसल कटाई और प्रसंस्करण

     फसल कटाई के बाद, उत्पादों को प्रसंस्कृत किया जाता है और उन्हें प्रमाणन के लिए भेजा जाता है। जैविक उत्पादों को प्रमाणित करने के बाद ही उन्हें बाजार में बेचा जा सकता है।

जैविक खेती में किसानों को आने वाली चुनौतियां

      जैविक खेती को अपनाने में किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इनमें से कुछ मुख्य चुनौतियां निम्नलिखित हैं:

     1. प्रमाणन प्रक्रिया की जटिलता

       जैविक उत्पादों को प्रमाणित करने की प्रक्रिया जटिल और समय लेने वाली होती है। इसमें किसानों को कई मानदंडों का पालन करना पड़ता है।

     2. उच्च प्रारंभिक लागत

      जैविक खेती शुरू करने के लिए प्रारंभिक लागत अधिक होती है। किसानों को जैविक खाद, बीज, और प्रमाणन प्रक्रियाओं पर खर्च करना पड़ता है।

    3. बाजार तक पहुंच

     कई किसानों को अपने जैविक उत्पादों के लिए उचित बाजार नहीं मिल पाता। उन्हें अपने उत्पादों को सही दाम पर बेचने में कठिनाई होती है।

    4. कम उपज

     जैविक खेती में रासायनिक खादों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता, जिससे फसल की उपज रासायनिक खेती की तुलना में कम हो सकती है।जैविक खेती से आय कैसे बढ़ाएं?

जैविक खेती से आय कैसे बढ़ाएं?

जैविक खेती को अपनाकर किसान न केवल पर्यावरण को संरक्षित कर सकते हैं, बल्कि अपनी आय भी बढ़ा सकते हैं।

1. प्रत्यक्ष बिक्री

किसान अपने उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं को बेच सकते हैं। इससे उन्हें बेहतर दाम मिल सकते हैं। किसान स्थानीय बाजारों, किसान मंडियों, और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स का उपयोग कर सकते हैं।

2. संगठित खेती

किसान समूह बनाकर संगठित खेती कर सकते हैं। इससे उत्पादन लागत कम होती है और बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ती है।

3. जैविक उत्पादों का प्रसंस्करण

किसान अपने उत्पादों को प्रसंस्कृत कर सकते हैं, जैसे जैविक आटा, जैविक तेल, और अन्य उत्पाद। प्रसंस्कृत उत्पादों की बाजार में अधिक मांग होती है।

4. निर्यात

जैविक उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत मांग है। किसान अपने उत्पादों को निर्यात कर सकते हैं और अधिक लाभ कमा सकते हैं।

निष्कर्ष

जैविक खेती न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है, बल्कि यह किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में भी मदद करती है। हालांकि, इसे अपनाने में कुछ चुनौतियां हैं, लेकिन सरकारी योजनाओं और किसानों के प्रयासों से इन चुनौतियों को दूर किया जा सकता है। यदि किसान जैविक खेती के सभी चरणों का सही तरीके से पालन करें और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएं, तो वे न केवल बेहतर उत्पादन कर सकते हैं, बल्कि अपनी आय भी बढ़ा सकते हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Post a Comment

Previous Post Next Post

Contact Form