झारखंड की उधवा झील अब वैश्विक मानचित्र पर, रामसर सूची में जगह बनाई

 झारखंड की उधवा झील अब वैश्विक मानचित्र पर, रामसर सूची में जगह बनाई

झारखंड की प्राकृतिक समृद्धि और जैव विविधता को एक बार फिर वैश्विक मान्यता मिली है। साहिबगंज जिले में स्थित उधवा झील को हाल ही में रामसर सूची में शामिल किया गया है। यह न केवल झारखंड के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का क्षण है। रामसर सूची में शामिल होने के साथ ही उधवा झील को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण आर्द्रभूमि (वेटलैंड) का दर्जा मिल गया है। यह उपलब्धि न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि इससे पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

उधवा झील का इतिहास और महत्व

उधवा झील झारखंड के साहिबगंज जिले में स्थित एक प्राकृतिक झील है, जो अपने जैव विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जानी जाती है। यह झील लगभग 5.65 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है और यहां कई प्रकार के पक्षी, जलीय जीव और वनस्पतियां पाई जाती हैं। उधवा झील को पक्षी प्रेमियों और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग माना जाता है। यहां हर साल सर्दियों के मौसम में प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है, जो इस झील को और भी खास बनाता है।

झील का नाम 'उधवा' स्थानीय भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'उच्च स्थान'। यह झील न केवल प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है, बल्कि यह स्थानीय समुदाय के लिए जल संसाधन का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है। इसके आसपास के क्षेत्र में कृषि और मछली पालन जैसे कार्यों के लिए इस झील का उपयोग किया जाता है।

रामसर सूची क्या है?

रामसर सूची दुनिया भर में महत्वपूर्ण आर्द्रभूमियों (वेटलैंड्स) की एक अंतरराष्ट्रीय सूची है। इस सूची का नाम ईरान के शहर रामसर के नाम पर रखा गया है, जहां 2 फरवरी 1971 को वेटलैंड्स पर कन्वेंशन हुआ था। इस कन्वेंशन का उद्देश्य दुनिया भर में आर्द्रभूमियों का संरक्षण और उनका सतत उपयोग सुनिश्चित करना है।

रामसर सूची में शामिल होने के लिए किसी आर्द्रभूमि को जैव विविधता, पारिस्थितिकीय महत्व और स्थानीय समुदाय के लिए इसके योगदान के आधार पर चुना जाता है। इस सूची में शामिल होने के बाद उस आर्द्रभूमि को अंतरराष्ट्रीय महत्व का दर्जा मिल जाता है और उसके संरक्षण के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयास किए जाते हैं।

उधवा झील का रामसर सूची में शामिल होना

उधवा झील को रामसर सूची में शामिल करने का निर्णय यूनेस्को द्वारा लिया गया है। यह निर्णय झील के जैव विविधता और पारिस्थितिकीय महत्व को देखते हुए लिया गया है। उधवा झील में कई दुर्लभ प्रजातियों के पक्षी और जलीय जीव पाए जाते हैं, जो इसे एक विशेष स्थान प्रदान करते हैं।

इस वर्ष रामसर सूची में भारत के कुल 89 स्थल शामिल हैं, जिनमें उधवा झील के अलावा तमिलनाडु के तीरतंगल और सक्काराकोट्टई, सिक्किम के खेचियोपालरी झील भी शामिल हैं। यह पहली बार है जब झारखंड और सिक्किम के आर्द्रभूमियों को रामसर सूची में शामिल किया गया है।

उधवा झील का पारिस्थितिकीय महत्व

उधवा झील का पारिस्थितिकीय महत्व अत्यधिक है। यह झील न केवल स्थानीय जैव विविधता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में भी सहायक है। आर्द्रभूमियों को 'प्रकृति के किडनी' के रूप में जाना जाता है, क्योंकि ये जल को शुद्ध करने और बाढ़ को नियंत्रित करने में मदद करती हैं।

उधवा झील में कई प्रकार के पक्षी, मछलियां, सरीसृप और वनस्पतियां पाई जाती हैं। यहां प्रवासी पक्षियों का आगमन विशेष रूप से उल्लेखनीय है। हर साल सर्दियों के मौसम में साइबेरिया और मध्य एशिया से हज़ारों की संख्या में प्रवासी पक्षी यहां आते हैं। इनमें से कई पक्षी दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियों के हैं।

स्थानीय समुदाय के लिए महत्व

उधवा झील स्थानीय समुदाय के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह झील न केवल जल संसाधन का एक प्रमुख स्रोत है, बल्कि यह स्थानीय लोगों के लिए आजीविका का साधन भी प्रदान करती है। झील के आसपास के क्षेत्र में कृषि, मछली पालन और पर्यटन जैसे कार्यों से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है।

रामसर सूची में शामिल होने के बाद उधवा झील के संरक्षण के लिए और अधिक प्रयास किए जाएंगे। इससे न केवल झील का पारिस्थितिकीय संतुलन बना रहेगा, बल्कि स्थानीय समुदाय को भी आर्थिक लाभ मिलेगा। पर्यटन के क्षेत्र में इसके विकास से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

चुनौतियां और भविष्य की राह

हालांकि उधवा झील को रामसर सूची में शामिल करना एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन इसके सामने कई चुनौतियां भी हैं। प्रदूषण, अतिक्रमण और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं झील के अस्तित्व के लिए खतरा बनी हुई हैं। झील के आसपास के क्षेत्र में बढ़ते शहरीकरण और औद्योगिक गतिविधियों के कारण इसके जल स्तर और जल गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार और स्थानीय समुदाय को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। झील के संरक्षण के लिए सतत विकास के सिद्धांतों को अपनाना होगा। साथ ही, जन जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को झील के महत्व के बारे में शिक्षित करना भी आवश्यक है।

निष्कर्ष

उधवा झील का रामसर सूची में शामिल होना झारखंड के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह न केवल झील के पारिस्थितिकीय महत्व को उजागर करता है, बल्कि इसके संरक्षण के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयासों को भी बढ़ावा देता है। उधवा झील को रामसर सूची में शामिल करने से न केवल इसके संरक्षण में मदद मिलेगी, बल्कि इससे पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा।

हमें उधवा झील की इस उपलब्धि पर गर्व होना चाहिए, लेकिन साथ ही हमें इसके संरक्षण के लिए भी प्रतिबद्ध रहना चाहिए। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस प्राकृतिक धरोहर को भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखें।

 

 

 

 

 

 

 

 

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