सहारा इंडिया परिवार: इतिहास और विस्तार

 

सहारा इंडिया परिवार: इतिहास और विस्तार

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सहारा इंडिया परिवार भारत के सबसे बड़े और प्रसिद्ध व्यावसायिक समूहों में से एक है। यह समूह न केवल अपने विविध व्यवसायों के लिए जाना जाता है, बल्कि इसके सामाजिक और आर्थिक योगदान के लिए भी प्रसिद्ध है। सहारा समूह ने अपनी स्थापना से लेकर आज तक एक लंबा सफर तय किया है और भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाई है।

स्थापना और इतिहास

सहारा इंडिया परिवार की स्थापना 1978 में सुब्रत रॉय सहारा ने की थी। इसकी शुरुआत एक छोटे से व्यवसाय के रूप में हुई थी, जब सुब्रत रॉय ने गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में सहारा इंडिया फाइनेंशियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड की स्थापना की। उनका उद्देश्य ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लोगों को वित्तीय सुरक्षा और बचत के अवसर प्रदान करना था। समय के साथ, सहारा समूह ने अपने व्यवसाय को विस्तारित किया और भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाई।

सुब्रत रॉय सहारा ने अपने नेतृत्व में सहारा समूह को एक ऐसा संगठन बनाया, जो न केवल व्यावसायिक उत्कृष्टता के लिए जाना जाता है, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी और समाज कल्याण के लिए भी प्रतिबद्ध है।

व्यवसाय का विस्तार

सहारा इंडिया परिवार का व्यवसाय विभिन्न क्षेत्रों में फैला हुआ है। यह समूह वित्तीय सेवाओं, आवासीय और वाणिज्यिक परियोजनाओं, मीडिया, पर्यटन, स्वास्थ्य सेवाओं और उपभोक्ता वस्तुओं जैसे क्षेत्रों में सक्रिय है। सहारा समूह के प्रमुख व्यवसायिक क्षेत्र निम्नलिखित हैं:

1. वित्तीय सेवाएं: सहारा समूह की शुरुआत वित्तीय सेवाओं से हुई थी। सहारा इंडिया फाइनेंशियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड और सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस जैसी कंपनियों के माध्यम से समूह ने लाखों ग्राहकों को बचत और निवेश के अवसर प्रदान किए हैं।

2. रियल एस्टेट: सहारा समूह ने आवासीय और वाणिज्यिक परियोजनाओं के क्षेत्र में भी अपनी पहचान बनाई है। सहारा शहरी आवासीय परियोजनाएं और सहारा ग्रैंड रेजिडेंसी जैसी परियोजनाएं समूह की रियल एस्टेट में विशेषज्ञता को दर्शाती हैं।

3. मीडिया और मनोरंजन: सहारा समूह ने मीडिया और मनोरंजन के क्षेत्र में भी कदम रखा है। सहारा वन, सहारा फिल्मी, और सहारा समय जैसे टेलीविजन चैनलों के माध्यम से समूह ने भारतीय दर्शकों तक पहुंच बनाई है।

4. पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी: सहारा समूह ने पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी के क्षेत्र में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। सहारा स्टार होटल्स और रिसॉर्ट्स जैसे प्रतिष्ठानों के माध्यम से समूह ने लग्जरी और आरामदायक सुविधाएं प्रदान की हैं।

5. स्वास्थ्य सेवाएं: सहारा समूह ने स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में भी अपनी पहचान बनाई है। सहारा हॉस्पिटल और मेडिकल सेंटर जैसी संस्थाएं समूह की स्वास्थ्य सेवाओं में विशेषज्ञता को दर्शाती हैं।

6. उपभोक्ता वस्तुएं: सहारा समूह ने उपभोक्ता वस्तुओं के क्षेत्र में भी अपनी पहचान बनाई है। सहारा क्यू शॉप और सहारा स्टोर्स जैसे रिटेल आउटलेट्स के माध्यम से समूह ने ग्राहकों को उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद प्रदान किए हैं।

सहारा समूह के प्रमुख उपक्रम

सहारा समूह के कुछ प्रमुख उपक्रम निम्नलिखित हैं:

1. सहारा इंडिया फाइनेंशियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड: यह सहारा समूह की प्रमुख वित्तीय सेवा कंपनी है, जो बचत और निवेश के अवसर प्रदान करती है।

2. सहारा इंडिया लाइफ इंश्योरेंस: यह जीवन बीमा सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनी है, जो ग्राहकों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है।

3. सहारा हॉस्पिटल: यह समूह की स्वास्थ्य सेवा शाखा है, जो उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करती है।

4. सहारा स्टार होटल्स और रिसॉर्ट्स: यह समूह की हॉस्पिटैलिटी शाखा है, जो लग्जरी और आरामदायक सुविधाएं प्रदान करती है।

5. सहारा वन और सहारा समय: ये समूह के प्रमुख टेलीविजन चैनल हैं, जो मनोरंजन और समाचार सेवाएं प्रदान करते हैं।

समाचार पत्र कट 

1. सहारा निवेशकों के पैसे की वापसी

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पृष्ठभूमि

सहारा समूह के निवेशकों को उनके पैसे वापस दिलाने को लेकर एक नई पहल की जा रही है। झारखंड सरकार ने इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए केंद्रीय रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटी से जानकारी एकत्र करने के लिए एक टीम भेजने का निर्णय लिया है। यह कदम विधायक प्रदीप यादव द्वारा उठाए गए सवाल के बाद उठाया गया है।

मुख्य बिंदु

1. निवेशकों की पैसा वापसी का मुद्दा
सहारा समूह में निवेश करने वाले लोगों को उनका पैसा वापस नहीं मिल पा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 29 मार्च 2023 को एक फैसले में निवेशकों को उनकी राशि वापस करने का आदेश दिया था, लेकिन दो साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी यह समस्या बनी हुई है।

2. झारखंड सरकार की पहल
झारखंड सरकार ने इस मामले में गंभीरता दिखाई है। वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने बताया कि राज्य सरकार के पास झारखंड के निवेशकों का सहारा में जमा कितना पैसा है, इसकी जानकारी नहीं है। इस जानकारी को एकत्र करने के लिए केंद्रीय रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटी से छह बार पत्राचार किया गया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। अब सरकार एक टीम भेजकर सीधे जानकारी एकत्र करेगी।

3. विधायक प्रदीप यादव का सुझाव
विधायक प्रदीप यादव ने सरकार से एक पोर्टल बनाने का आग्रह किया है, जिसके माध्यम से निवेशकों की जानकारी एकत्र की जा सके। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद निवेशकों को उनका पैसा नहीं मिल पा रहा है, जो चिंता का विषय है।

4. मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी इस मामले में गंभीरता दिखाई है। उन्होंने कहा कि सरकार को निवेशकों की राशि वसूली के लिए अलग से प्रयास करने की जरूरत है।

समस्या का मूल कारण

सहारा समूह के निवेशकों को उनका पैसा वापस नहीं मिल पा रहा है, जिसका मुख्य कारण यह है कि समूह की वित्तीय स्थिति खराब है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद, समूह के पास निवेशकों को उनकी राशि वापस करने के लिए पर्याप्त धनराशि नहीं है। इसके अलावा, निवेशकों की सही जानकारी और डेटा की कमी भी इस प्रक्रिया को धीमा कर रही है।

आगे की राह

 1. जानकारी एकत्र करना
झारखंड सरकार की टीम केंद्रीय रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटी से निवेशकों की जानकारी एकत्र करेगी। यह कदम निवेशकों को उनका पैसा वापस दिलाने की दिशा में पहला कदम हो सकता है।

2. पोर्टल का निर्माण
विधायक प्रदीप यादव के सुझाव के अनुसार, एक पोर्टल बनाकर निवेशकों की जानकारी एकत्र की जा सकती है। इससे प्रक्रिया तेज और पारदर्शी हो सकती है।

3. सरकारी प्रयास
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मामले में गंभीरता दिखाई है। सरकार को निवेशकों की राशि वसूली के लिए विशेष प्रयास करने की जरूरत है, जिसमें कानूनी और प्रशासनिक कदम शामिल हो सकते हैं।

निष्कर्ष

सहारा इंडिया परिवार ने अपनी स्थापना से लेकर आज तक एक लंबा सफर तय किया है। यह समूह न केवल व्यावसायिक उत्कृष्टता के लिए जाना जाता है, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी और समाज कल्याण के लिए भी प्रतिबद्ध है। सहारा समूह ने भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाई है और लाखों लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। आने वाले वर्षों में भी सहारा समूह अपने व्यवसाय और सामाजिक योगदान के माध्यम से भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा।

सहारा समूह के निवेशकों को उनका पैसा वापस दिलाने का मामला लंबे समय से लंबित है। झारखंड सरकार ने इस दिशा में पहल की है, लेकिन अभी भी कई चुनौतियां हैं। निवेशकों की जानकारी एकत्र करने और एक पारदर्शी प्रक्रिया स्थापित करने से इस समस्या का समाधान हो सकता है। सरकार और अधिकारियों को मिलकर काम करने की जरूरत है ताकि निवेशकों को उनका हक मिल सके।

 

 

 

 

 

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