बोकारो बंद : 2025
गुरुवार की सुबह आठ बजे। बोकारो स्टील प्लांट (बीएसएल) के मुख्य गेट पर सैकड़ों विस्थापित युवाओं का हुजूम जमा था। उनके हाथों में प्लेकार्ड थे, आवाज़ें गूंज रही थीं— "हमें नौकरी चाहिए!" कुछ के साथ उनकी माँएँ, पत्नियाँ और बच्चे भी थे। ये सभी बीएसएल में अप्रेंटिसशिप कर चुके थे, लेकिन अब सीधी नौकरी या वैकल्पिक व्यवस्था की मांग को लेकर वे आंदोलन पर उतर आए थे।
धीरे-धीरे आंदोलन तेज़ होने लगा। विरोधियों ने गेट जाम कर दिया, प्लांट जाने वाले कर्मचारियों और वाहनों को रोक दिया। प्रशासन और पुलिस ने बातचीत की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी। दिन भर धक्का-मुक्की और तनाव बना रहा।
फिर शाम पाँच बजे स्थिति विस्फोटक हो गई। आक्रोशित भीड़ ने बैरिकेडिंग तोड़कर इस्पात भवन के अंदर घुसने की कोशिश की। सुरक्षा में तैनात सीआईएसएफ के जवानों ने लाठीचार्ज कर दिया। डंडे चले, पत्थर उछाले गए। दोनों ओर से हिंसा भड़क उठी। चीखें, रक्त और आक्रोश— सब कुछ एक साथ घुलमिल गया।
जब धुआँ छँटा, तो 14 लोग घायल पड़े थे। उनमें से एक— 24 वर्षीय प्रेम कुमार महतो— ज़िंदगी की जंग हार चुका था। वह हरला थाना क्षेत्र के शिबूटांड़ गाँव का रहने वाला था। उसकी मौत ने आग में घी का काम किया।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और निंदा
इस घटना पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता काशीनाथ केवट ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने सीआईएसएफ और सुरक्षाकर्मियों की कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए कहा— "लोकतांत्रिक तरीके से धरना दे रहे विस्थापितों पर लाठीचार्ज करना पूरी तरह गलत है। एक निर्दोष युवक की मौत हुई है, और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को सख्त सजा मिलनी चाहिए।"
काशीनाथ केवट ने
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग की कि इस घटना की तुरंत जांच हो और दोषी
सुरक्षाकर्मियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जाए।
उन्होंने कहा— "अगर सरकार विस्थापितों की मांगों को गंभीरता से नहीं लेगी, तो ऐसी घटनाएँ बढ़ती रहेंगी।"
इस्पात मंत्री के समक्ष मुद्दा उठा
बोकारो अधिशासी कर्मचारी संघ (बीएकेएस) का प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को इस्पात मंत्री एचडी कुमार स्वामी से मिला। तृणमूल कांग्रेस की सांसद डोला सेन के साथ सेल के अन्य यूनिट के प्रतिनिधियों ने सेल की समस्याओं से इस्पात मंत्री को अवगत कराया।
बीएकेएस बोकारो के अध्यक्ष हरिओम ने बताया कि इस्पात मंत्री को निम्नलिखित मुद्दे रखे गए:
- अधूरा वेज रिवीजन (मजदूरी संशोधन)
- एमओए, एरियर और एनजेसीएस में सुधार
- बोकारो में विस्थापितों पर लाठीचार्ज और एक युवक की मौत
इस्पात मंत्री ने लाठीचार्ज और विस्थापित युवा की मौत पर नाराजगी जताई और मामले में कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया। उन्होंने विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी।
इसके अलावा, बीएकेएस का प्रतिनिधिमंडल इस्पात स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर से भी मिला और वेतन संशोधन सहित अन्य मुद्दों को उठाया। पिछले 7 दिनों में यह प्रतिनिधिमंडल 15 सांसदों से मिल चुका है।
आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने बीजीएच में घायलों से मुलाकात की और विस्थापितों को न्याय दिलाने का वादा किया।
भाजपा, आजसू और जेएलकेएम के कार्यकर्ताओं ने तेलमच्चो पुल जैसे स्थानों को जाम कर दिया।
सिंदरी विधायक चंद्रदेव महतो और निरसा विधायक अरूप चटर्जी ने लाठीचार्ज की निंदा कर हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की।
आक्रोश फैलता है
प्रेम की मौत की खबर फैलते ही पूरा बोकारो सड़कों पर उतर आया। लोगों ने तुपकाडीह, फुसरो-जैनामोड़ और सेक्टर-4 जैसे प्रमुख रास्तों को जाम कर दिया। दुकानें बंद करवा दी गईं। सिटी सेंटर में लाठी-डंडा लिए उग्र युवाओं का आतंक छा गया।
डुमरी विधायक जयराम महतो और एसडीओ प्राजंल ढांडा ने मृतक के परिवार से मुलाकात की, लेकिन लोगों का गुस्सा शांत नहीं हुआ। उनका आरोप था— "बीएसएल और सरकार ने हमें ठगा है!"
प्रशासन की प्रतिक्रिया
बोकारो की उपायुक्त विजया जाधव ने बताया कि सीआईएसएफ की कार्रवाई पर मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया है और बीएसएल के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है। लेकिन सवाल यही था— क्या एक जान जाने के बाद भी विस्थापितों की मांगें अनसुनी रहेंगी?
पुलिस-प्रशासन की कार्रवाई :
- 144 लागू कर दी गई।
- बोकारो विधायक श्वेता सिंह और उनके समर्थकों को हिरासत में लिया गया।
- पेटरवार में साढ़े तीन घंटे तक जाम रहा, जिसे पुलिस ने बाद में हटाया।
बंद के मुख्य कारण:
1. आर्थिक विषमता और रोज़गार का संकट
यह घटना केवल एक हिंसक झड़प नहीं, बल्कि बेरोज़गारी और आर्थिक हताशा का परिणाम है। बीएसएल जैसी सार्वजनिक कंपनियों में विस्थापितों को नौकरियाँ देने का वादा किया जाता है, लेकिन जब ये वादे पूरे नहीं होते, तो युवाओं का आक्रोश सड़कों पर फूट पड़ता है।
2. पुलिसिया कार्रवाई और मानवाधिकार
सीआईएसएफ की लाठीचार्ज क्या वास्तव में आवश्यक थी? क्या शांतिपूर्ण आंदोलन को हिंसक तरीके से कुचलने का प्रयास उचित है? प्रशासन को संवाद का रास्ता अपनाना चाहिए था, न कि बल प्रयोग का।
3. राजनीतिक समर्थन और सियासी खेल
आजसू, भाजपा और जेएलकेएम जैसे संगठनों ने बंद का समर्थन किया, लेकिन क्या ये पार्टियाँ वास्तव में विस्थापितों के हितों के लिए काम करेंगी, या सिर्फ़ राजनीतिक फायदा उठा रही हैं?
4. प्रशासन की निष्क्रियता
बोकारो प्रशासन ने बीएसएल को कई बार नोटिस भेजा, लेकिन कंपनी ने मामले को दिल्ली पर थोप दिया। यह दिखाता है कि सरकारी तंत्र कितना धीमा और असंवेदनशील है।
5. भविष्य की चुनौती
अगर विस्थापित युवाओं को रोज़गार नहीं मिला, तो यह आंदोलन और बड़े स्तर पर फैल सकता है। सरकार को तुरंत ठोस कदम उठाने होंगे, नहीं तो बोकारो जैसे औद्योगिक शहरों में अशांति बढ़ सकती है।
यह घटना सिर्फ़ एक दुखद घटना नहीं, बल्कि व्यवस्था की विफलता का प्रतीक है। जब तक युवाओं को रोज़गार और न्याय नहीं मिलेगा, तब तक ऐसे हादसे होते रहेंगे। अब सरकार और प्रशासन को न सिर्फ़ जांच करानी होगी, बल्कि विस्थापितों की मांगों को गंभीरता से सुनकर समाधान निकालना होगा।
एचआर प्रमुख गिरफ्तार, पर समाधान नहीं
बोकारो स्टील प्लांट (बीएसएल) में विस्थापित अप्रेंटिस संघ के प्रदर्शन और सीआईएसएफ की लाठीचार्ज में एक युवक की मौत के बाद उपायुक्त विजया जाधव ने रातोंरात कार्रवाई करते हुए बीएसएल के मुख्य महाप्रबंधक (एचआर) हरि मोहन झा को गिरफ्तार करने का आदेश दिया। शुक्रवार को उन्हें हिरासत में लिया गया, लेकिन इससे आंदोलनकारियों का आक्रोश कम नहीं हुआ।
बीएसएल प्रबंधन के एचआर प्रमुख गिरफ्तार, लेकिन वार्ता विफल
- उपायुक्त विजया जाधव ने घटना की जिम्मेदारी लेते हुए बीएसएल के एचआर प्रमुख हरि मोहन झा को गिरफ्तार करने का आदेश दिया।
- शुक्रवार 04 April 2025, सुबह उन्हें हिरासत में लिया गया, लेकिन इससे आंदोलनकारियों का गुस्सा कम नहीं हुआ।
- त्रिपक्षीय बैठक (प्रशासन, बीएसएल प्रबंधन और विस्थापित नेताओं के बीच) बेनतीजा समाप्त हुई।
त्रिपक्षीय बैठक बेनतीजा, मांगें अधर में
शुक्रवार को उपायुक्त की अगुवाई में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई, जिसमें एसपी मनोज स्वर्गीयारी, बीएसएल के कार्मिक निदेशक राजश्री बनर्जी, विधायक श्वेता सिंह, जयराम महतो, झामुमो नेता मंटू यादव और विस्थापित प्रतिनिधि शामिल हुए। तीन घंटे तक चली वार्ता के बावजूद कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
- बीएसएल प्रबंधन ने स्पष्ट किया कि उनके पास विस्थापितों को सीधी नौकरी देने की नीति या अधिकार नहीं है।
- मृतक प्रेम महतो के परिवार को आर्थिक मुआवजा 20 से बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने पर सहमति बनी, लेकिन नौकरी की मांग लटकी रही।
- उपायुक्त ने कहा कि बीएसएल एक केंद्रीय PSU है, इसलिए अंतिम फैसला दिल्ली से होगा।
राजनीतिक दबाव बढ़ा, सांसद ने सेल चेयरमैन को घेरा
धनबाद सांसद ढुलू महतो ने सेल के चेयरमैन अमरेंद्र प्रकाश से मुलाकात कर विस्थापितों पर लाठीचार्ज की कड़ी निंदा की। उन्होंने मांग की कि:
1. मृतक के परिवार को नौकरी और पूरा मुआवजा दिया जाए।
2. विस्थापितों के लिए फोर्थ ग्रेड आरक्षण लागू किया जाए।
3. 19 गांवों को पंचायत दर्जा देने के लिए एनओसी जारी की जाए।
4. चयनित 4,328 विस्थापित युवाओं की अप्रेंटिसशिप शुरू की जाए।
ढुलू महतो ने चेतावनी दी: "अगर सेल ने जिम्मेदारी नहीं ली, तो यह आंदोलन बीएसएल के अस्तित्व के लिए खतरा बन सकता है।"
25 लाख मुआवजे की पेशकश पर भी परिवार ने इनकार किया
बीएसएल प्रबंधन ने लाठीचार्ज में मारे गए प्रेम कुमार महतो (24) के परिवार को 25 लाख रुपये मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को ठेका नौकरी देने की पेशकश की। लेकिन मृतक के परिजनों ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया, जिसके बाद तनाव और बढ़ गया।
वीरू महतो (मृतक के पिता) ने बीएसटी थाना में बीएसएल अधिकारियों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कराया।
आरोप लगाया कि बीएसएल अधिकारियों के इशारे पर ही उनके बेटे को निशाना बनाकर पीटा गया, जिससे उसकी मौत हुई।
प्रशासन का शांति अपील, पर विरोध जारी
उपायुक्त और एसपी ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की, लेकिन आंदोलनकारी अड़े हुए हैं। बीएस सिटी पुलिस ने धारा 144 लागू करते हुए विधायक श्वेता सिंह और उनके समर्थकों को हिरासत में लिया, ताकि हिंसा न फैले।
क्यों फंसा हुआ है समाधान?
1. नीतिगत अड़चन: बीएसएल का दावा है कि वह बिना केंद्रीय मंजूरी के सीधी भर्ती नहीं कर सकता।
2. राजनीतिक द्वंद्व: भाजपा, झामुमो, तृणमूल सभी पक्ष अपने-अपने हितों के लिए मुद्दे को भुनाने में लगे हैं।
3. प्रशासन की सीमाएँ: जिला प्रशासन के पास बीएसएल पर सीधा दबाव बनाने का अधिकार नहीं है।
आगे की राह
- केंद्र सरकार को तुरंत हस्तक्षेप करके विस्थापितों की मांगों पर गंभीरता से विचार करना होगा।
- बीएसएल को ठेका नियुक्तियों के बजाय स्थायी नौकरियों का रास्ता खोलना चाहिए।
- मृतक के परिवार को तत्काल न्याय और रोजगार सुनिश्चित करना होगा, नहीं तो आंदोलन और हिंसक हो सकता है।
यह केवल एक पुलिसिया घटना नहीं, बल्कि औद्योगिक विकास और विस्थापन की
नीतियों की विफलता है। अगर समय रहते समाधान नहीं निकाला गया, तो बोकारो
जैसे औद्योगिक शहरों में यह आग और फैल सकती है।
पेड़ गिराकर किया गया प्लांट गेट जाम
आंदोलनकारियों ने बोकारो स्टील प्लांट के मेन गेट के पास एक बड़ा पेड़ गिराकर पूरी तरह से जाम कर दिया, जिससे प्लांट में प्रवेश और निकास बाधित हो गया। यह कदम विस्थापितों के गुस्से को दिखाता है, जो अब धैर्य खो चुके हैं।
लाठीचार्ज और एक युवक की मौत के बाद डुमरी विधायक जयराम महतो और बोकारो विधायक श्वेता सिंह के बीच खुली लड़ाई छिड़ गई है।
- गुरुवार को जयराम महतो के वाहन पर हमला हुआ, जिसके बाद तनाव और बढ़ गया।
- शुक्रवार को डीसी कार्यालय में हुई बैठक में जयराम महतो का प्रवेश रोकने की कोशिश की गई, लेकिन बाद में उन्हें अंदर जाने दिया गया।
- जयराम महतो ने श्वेता सिंह पर तंज कसते हुए कहा— "अगर धनबाद सांसद ढुलू महतो या मंत्री योगेंद्र महतो आते, तो क्या श्वेता सिंह उनके साथ भी ऐसा व्यवहार करतीं?"
उन्होंने श्वेता सिंह के पति संग्राम सिंह पर आरोप लगाया कि वे बीएसएल में ठेकेदारी करते हैं और इसी कारण श्वेता विस्थापितों के मुद्दे पर ढिलाई बरत रही हैं।
श्वेता सिंह ने जवाब देते हुए कहा— "हमारी लड़ाई बीएसएल प्रबंधन से है, जनता से नहीं। जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन जारी रहेगा।"
घायलों से मिलने पहुंचे सिंदरी विधायक
सिंदरी के विधायक और उनके समर्थक बोकारो जनरल हॉस्पिटल (BGH) पहुंचे, जहां लाठीचार्ज में घायल हुए विस्थापितों का इलाज चल रहा है। उन्होंने घायलों की हालत जानी और उनके परिवारों से संवाद किया।
अगर केंद्र सरकार और बीएसएल प्रबंधन ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो यह
आंदोलन बड़े दंगों में बदल सकता है। विस्थापितों को न्याय दिलाने के लिए
राजनीतिक दलों को एकजुट होकर काम करना होगा, न कि आपस में लड़कर मुद्दे को
और उलझाना चाहिए।
बंद का प्रभाव:
बीएसएल का उत्पादन ठप, करोड़ों का घाटा
विस्थापित अप्रेंटिस संघ के आंदोलन और बोकारो बंद के चलते बोकारो स्टील प्लांट (बीएसएल) का पूरा उत्पादन तंत्र बिगड़ गया है। गुरुवार रात से ही सभी प्रमुख इकाइयाँ— ब्लास्ट फर्नेस, कोक ओवन, सिंटर प्लांट, एसएमएस और हॉट स्ट्रिप मिल—बंद पड़ी हैं। इससे कंपनी को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है, और स्थिति सामान्य होने में अभी समय लगेगा। बीएसएल के सभी ब्लास्ट फर्नेस और प्रमुख इकाइयाँ बंद रहीं, जिससे करोड़ों का नुकसान हुआ।
संवेदनशील गैस पाइपलाइन पर खतरा, 5000 कर्मी फंसे
बीएसएल एक थर्मो-सेंसिटिव प्लांट है, जहाँ गैस पाइपलाइन का जटिल नेटवर्क 24/7 सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत चलता है। लेकिन आंदोलनकारियों द्वारा सभी गेट जाम करने से:
- 5,000 से अधिक कर्मचारी प्लांट के अंदर फंस गए, जो घंटों भूखे-प्यासे रहे।
- सुरक्षा प्रोटोकॉल बनाए रखने में गंभीर दिक्कतें आईं।
- प्रबंधन ने चेतावनी दी कि अगर यही हाल रहा, तो गैस लीक या दुर्घटना का खतरा बढ़ सकता है।
जरीडीह से तुपकाडीह तक जाम और हिंसा
- जैनामोड़-फोरलेन चौक पर विस्थापितों ने सड़क जाम कर दी, जिससे वाहनों की लंबी कतारें लग गईं।
- तुपकाडीह में टायर जलाकर रोड ब्लॉक किया गया और "दोषियों को फांसी दो" के नारे लगाए गए।
- बालीडीह में विस्थापितों ने बोकारो तेन नहर को काट दिया, जिससे पानी की आपूर्ति प्रभावित हुई।
रात में हटा आंदोलन, लेकिन नुकसान हो चुका
देर रात आंदोलनकारी प्लांट गेट से हटे, जिसके बाद कर्मचारियों को बाहर निकलने का मौका मिला। हालाँकि, प्रबंधन का कहना है कि मशीनों को दोबारा शुरू करने में काफी समय लगेगा, और उत्पादन पूरी क्षमता से चलने में कम से कम 48-72 घंटे का समय लग सकता है।
बोकारो बंद के चलते यूजी और पीजी की परीक्षाएं रद्द, छात्रों की मुश्किलें बढ़ीं
5 अप्रैल 2025: बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग ने अचानक शुक्रवार को होने वाली यूजी सेकेंड सेमेस्टर (सत्र 2022-26) की परीक्षा रद्द कर दी। यह फैसला बोकारो में विभिन्न संगठनों द्वारा बुलाए गए बंद के कारण लिया गया। शहर के कई इलाकों में सड़क जाम और प्रदर्शनों के चलते छात्रों और शिक्षकों के लिए परीक्षा केंद्रों तक पहुंचना मुश्किल हो गया था।
कई कॉलेजों ने विश्वविद्यालय प्रशासन को स्थिति से अवगत कराया, जिसके बाद परीक्षा शुरू होने से कुछ ही देर पहले इसे स्थगित करने का नोटिस जारी किया गया। शुक्रवार को दूसरी पाली में होने वाली हिस्ट्री मेजर (एमजे-2) की परीक्षा अब 9 अप्रैल को आयोजित की जाएगी।
पीजी सेमेस्टर वन की परीक्षाएं भी स्थगित
इसी तरह, शनिवार को होने वाली पीजी सेमेस्टर वन (सत्र 2024-26) की सभी परीक्षाएं भी "अपरिहार्य कारणों" से स्थगित कर दी गई हैं। अब ये परीक्षाएं 15 अप्रैल को निर्धारित केंद्रों पर होंगी। हालांकि, बाकी परीक्षाएं पहले की तरह निर्धारित तिथियों पर ही आयोजित की जाएंगी।
डिप्लोमा प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा भी टली
झारखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, रांची ने भी बोकारो और खुंटरी केंद्रों पर 4 अप्रैल को होने वाली डिप्लोमा प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा स्थगित कर दी है। नया कार्यक्रम बाद में जारी किया जाएगा।
छात्रों को बार-बार हो रही परेशानी
दिलचस्प बात यह है कि हिस्ट्री (एमजे-2) की यह परीक्षा इससे पहले भी 24 मार्च को रद्द हो चुकी थी, क्योंकि उस समय प्रश्नपत्र में सिलेबस से बाहर के सवाल पूछे गए थे। तब विश्वविद्यालय ने इसे 4 अप्रैल को कराने का फैसला किया था, लेकिन बंद के कारण यह फिर से टल गई।
कई छात्रों ने बताया कि उन्हें परीक्षा रद्द होने की सूचना नहीं मिली, जिसके चलते वे निर्धारित समय पर केंद्रों पर पहुंच गए। वहां पहुंचने के बाद ही उन्हें पता चला कि परीक्षा नहीं होगी।
बोकारो बंद का व्यापक असर, हिंसा और आगजनी
शुक्रवार 04 April 2025, को बोकारो बंद पूरी तरह से प्रभावी रहा, जिसके चलते:
- सभी प्रमुख सड़कें जाम, टायर जलाकर आवागमन बाधित किया गया।
- उकरीद मोड़, दुंदीबाद, सेक्टर-4 और जैनामोड़ में आंदोलनकारियों ने कई वाहनों व दुकानों में आग लगा दी।
- बालीडीह में बोकारो तेन नहर काट दी गई, जिससे पानी की आपूर्ति प्रभावित हुई।
- बीएसएल की बसों व जेसीबी मशीनों को आग के हवाले कर दिया गया।
विधायक श्वेता सिंह की गिरफ्तारी, चास में धारा 144 लागू
बोकारो विधायक श्वेता सिंह को देर रात उनके समर्थकों के साथ हिरासत में लिया गया।
चास अनुमंडल में धारा 144 लागू कर दी गई, ताकि हिंसा न फैले।
पुलिस-प्रशासन की टीमें सड़कों पर तैनात रहीं, लेकिन आंदोलनकारियों ने कई जगहों पर पथराव और आगजनी जारी रखी। बीबीएमकेयू और पॉलिटेक्निक की परीक्षाएं स्थगित कर दी गईं।
बीएसएल अधिकारियों की चिंता
बोकारो स्टील ऑफिसर्स एसोसिएशन (बोसा) ने आपात बैठक कर मृतक युवक के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की। साथ ही, संयंत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपायों पर चर्चा की।
बोसा अध्यक्ष एके सिंह ने कहा, "हम उन कर्मचारियों को सलाम करते हैं, जो पिछले 20 घंटों से संयंत्र में डटे हुए हैं।"
जनता की प्रतिक्रिया:
विस्थापितों और बंद समर्थकों ने उकरीद मोड़, गरगा पुल, तेलमच्चो सहित सभी प्रमुख प्रवेश बिंदुओं को बांस, पेड़ की टहनियों और जलते टायरों से बंद कर दिया। यहां तक कि पैदल यात्रियों को भी नहीं जाने दिया गया।
- चास-पुरुलिया रोड पर वाहनों की लंबी कतार लग गई।
- बोकारो-रामगढ़ नेशनल हाइवे जाम होने से यातायात ठप्प रहा।
- बोकारो-तेनुघाट नहर को काट दिया गया, जिससे पानी की आपूर्ति बाधित हुई।
- इलेक्ट्रोस्टील की बस, जेसीबी और तीन हाइवा वाहनों में आग लगा दी गई।
- सेक्टर-4 और दुंदीबाद में दुकानों को निशाना बनाया गया, मारपीट की गई।
- एक बुलेट बाइक को आग के हवाले कर दिया गया, जिसे पुलिस ने बुझाया।
आंदोलन शुरू में संगठित था, लेकिन जल्द ही नेतृत्वविहीन हो गया। कई समर्थकों ने अपने ही साथियों को नहीं पहचाना और मीडिया, पुलिस व डॉक्टरों तक को रोक दिया।
एक महिला आंदोलनकारी ने बताया कि उनका वाहन भी आंदोलन स्थल पर छूट गया था, लेकिन वापस लेने जाने पर उन्हें ही विरोध का सामना करना पड़ा।
बोकारो लाठीचार्ज के खिलाफ जनता का रोष
तेनुघाट की सड़कें आज आक्रोश से गूंज रही थीं। बेरमो अनुमंडल विस्थापित मोर्चा के कार्यकर्ताओं का एक जुट हुजूम बीएसएल प्रबंधन के खिलाफ सड़क पर उतर आया था। हाथों में मशालें, आँखों में गुस्सा और आवाज़ों में बदले की चिंगारी—सब कुछ बता रहा था कि अब और सहना नहीं है।
"न्याय मिलेगा, चाहे कितनी भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े!"
शुक्रवार की सुबह तेनुघाट में जमा हुए विस्थापितों ने सबसे पहले एक बैठक की। बोकारो स्टील प्लांट (बीएसएल) के सामने हुए लाठीचार्ज में मारे गए युवक की याद में सभी ने मौन धारण कर शोक जताया। लेकिन यह मौन ज्यादा देर नहीं टिका। जल्द ही आक्रोश फूट पड़ा।
"यह कोई पहली बार नहीं है! सीआइएसएफ बार-बार हमारे लोगों पर जुल्म ढा रही है!"
वक्ताओं ने गुस्से से भरे स्वर में लेवाटांड़ गोलीकांड का जिक्र किया, जहाँ पहले भी विस्थापितों का खून बहाया जा चुका था। इस बार भी सीआइएसएफ ने बिना प्रशासनिक अनुमति के निहत्थे लोगों पर लाठियां बरसाईं।
"कानून अपने हाथ में लेकर हमें मारना बंद करो! हमें इंसाफ चाहिए!"
भीड़ ने जोरदार मांगें रखीं—
- लाठीचार्ज में शामिल सीआइएसएफ जवानों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज हो।
- दोषियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए।
- मृत युवक के परिवार को बीएसएल में सीधी नौकरी और 25 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए।
- घायलों का पूरा इलाज किया जाए।
"राज्य सरकार जागो! विधानसभा समिति जांच कराओ!"
संगठन के अध्यक्ष उमा चरण रजवार, सचिव दीपचंद गोप, पवन ठाकुर और प्रदीप ने चेतावनी दी— "हम चुप नहीं बैठेंगे। अगर 24 घंटे के अंदर हमारी मांगें नहीं मानी गईं, तो पूरा बोकारो जल उठेगा!"
"अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन और तेज होगा!"
भाषण खत्म होते ही भीड़ ने बीएसएल प्रबंधन का पुतला फूंक दिया। आग की लपटों के साथ ही आवाजें गूंजीं— "हमारे खून का हिसाब होगा!" कुछ नेता रोड जाम करने लगे, तो कुछ युवाओं ने नारेबाजी जारी रखी।
"राज्य सरकार जागो! विधानसभा समिति जांच कराओ!"
संगठन के अध्यक्ष उमा चरण रजवार, सचिव दीपचंद गोप, पवन ठाकुर और प्रदीप ने चेतावनी दी— "हम चुप नहीं बैठेंगे। अगर 24 घंटे के अंदर हमारी मांगें नहीं मानी गईं, तो पूरा बोकारो जल उठेगा!"
और इस तरह, एक और आंदोलन की चिंगारी भड़क उठी। जनता का गुस्सा अब धधक रहा था, और सरकार के सामने सवाल था— "क्या इस बार न्याय मिलेगा, या फिर खून-खराबा होगा?"
6 अप्रैल 2025, दो दिनों तक अशांत रहे बोकारो में शनिवार को जनजीवन सामान्य हो गया। विस्थापित अप्रेंटिस संघ के प्रदर्शन और पुलिस लाठीचार्ज में मारे गए युवक प्रेम महतो के परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा और उनके भाई को नौकरी देकर मामले को सुलझाया गया। हालांकि, चास अनुमंडल में निषेधाज्ञा अगले आदेश तक जारी रहेगी।
मृतक के परिवार को मिला मुआवजा और रोजगार
सांसद दुलू महतो की पहल पर बोकारो स्टील लिमिटेड (बीएसएल) प्रबंधन ने मृतक प्रेम महतो के परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया। साथ ही, उनके भाई को बीएसएल की आउटसोर्सिंग कंपनी जीआर इंटरप्राइजेज में ठेके पर नौकरी का नियुक्ति पत्र सौंपा गया। इसके बाद अस्पताल में रखे गए प्रेम महतो के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
शहर में लौटी सामान्यता, रामनवमी की तैयारियां जोरों पर
दो दिन के बंद और हिंसा के बाद शनिवार को बोकारो में जीवन पटरी पर लौट आया। बाजार खुले, यातायात सुचारू हुआ और रामनवमी की तैयारियों में फिर से रौनक दिखने लगी। बीएसएल के प्लांट में भी कामकाज शुरू हो गया।
राजनीतिक नेताओं ने की शांति की अपील
सांसद दुलू महतो और विधायक श्वेता सिंह ने संयुक्त रूप से बयान जारी कर कहा कि "बाहरी और भीतरी ताकतों की राजनीति बोकारो में नहीं चलेगी।" शुक्रवार को नजरबंद की गईं विधायक श्वेता सिंह को भी शनिवार को रिहा कर दिया गया।
"भाजपा के शासन में न्याय की आस बेकार"
कमलेश ने कहा, "भाजपा सरकार के दौर में न्याय की उम्मीद करना बेकार है। जो लोग अपने हक की मांग कर रहे थे, उन पर लाठीचार्ज और दमन किया गया। यह न सिर्फ निंदनीय है, बल्कि पूरी तरह अमानवीय भी।"
उन्होंने आरोप लगाया कि बोकारो स्टील के विस्थापित लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे, लेकिन सरकार ने उनकी बात सुनने की बजाय उन्हें कुचलने का प्रयास किया।
"भाजपा की नजर झारखंड के PSU पर"
कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा सरकार झारखंड के सार्वजनिक उपक्रमों (PSU) को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी में है। "जब भी लोग अपने अधिकारों की मांग करते हैं, भाजपा सरकार दमन का रास्ता अपनाती है। बोकारो में हुई घटना इसका सबूत है," उन्होंने कहा।
कांग्रेस ने उठाए सवाल
कमलेश ने पूछा, "क्या विस्थापितों को नौकरी देने की मांग गलत है? क्या शांतिपूर्ण आंदोलन करने वालों पर लाठी बरसाना जायज है? अगर सरकार के पास जवाब नहीं है, तो कम से कम माफी तो मांगे।"
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को झारखंड के लोगों के साथ हो रहे अन्याय को रोकना चाहिए, न कि उनकी आवाज को दबाना चाहिए।
बोकारो में हिंसक आंदोलन: विस्थापितों के आक्रोश ने ली जान, वाहनों को मिली आग की भेंट
बोकारो स्टील लिमिटेड (BSL) के प्रशासनिक भवन के पास विस्थापित अप्रेंटिस संघ के आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया। एक युवक की मौत, कई लोगों के घायल होने, वाहनों में आग लगाने और मारपीट की घटनाओं ने पूरे शहर को हिला दिया। अब तक चार थानों में छह मामले दर्ज हो चुके हैं, जबकि दो मामलों में आवेदन का इंतज़ार किया जा रहा है।
पहला मामला: पिता ने बीएसएल अधिकारियों पर लगाया हत्या का आरोप
बीएस सिटी थाना में प्रेम महतो (मृतक) के पिता बीरू महतो ने एक झटकेदार आवेदन दाखिल किया है। उन्होंने बीएसएल के डायरेक्टर इंचार्ज बीके तिवारी, इडी पीएंडए ए राजश्री बनर्जी, सीजीएम कार्मिक हरिमोहन झा, आइआर विभाग के प्रभाकर कुमार, सीआइएसएफ डीआइजी दिग्विजय सिंह और सीआइएसएफ इंचार्ज चावला पर अपने बेटे की हत्या का आरोप लगाया है।
बीरू महतो का कहना है— "तीन अप्रैल को विस्थापित अप्रेंटिस संघ का शांतिपूर्ण आंदोलन चल रहा था। बीएसएल और सीआइएसएफ के उच्च अधिकारियों के आदेश पर साजिशन मेरे बेटे को घेरकर जवानों ने लाठी-डंडों से पीटा, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।"
इस घटना के बाद डीसी विजय जाधव ने तीन सदस्यीय जांच टीम बनाई है, जो वीडियो फुटेज और सीसीटीवी रिकॉर्डिंग के आधार पर सच्चाई का पता लगाएगी।
दूसरा मामला: हरला में वाहनों को लगी आग
सेक्टर नौ हरला थाना में एक हाइवा और जेसीबी जलाए जाने का मामला दर्ज हुआ है। वाहन मालिक राजीव रंजन ने अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया है। पुलिस साक्ष्य जुटा रही है।
तीसरा मामला: ठेकेदार का बोलेरो तोड़ा गया
बीएस सिटी थाना में ठेकेदार अशोक सिंह ने शिकायत दर्ज कराई कि उनका बोलेरो उन लोगों ने तोड़ दिया, जो एडीएम गेट के पास इकट्ठा थे। उन्होंने सुंदर लाल, अजय कुमार महतो और सुनील महतो समेत 40-50 लोगों का नाम लिया है।
चौथा मामला: सीआइएसएफ जवान की पिटाई
सेक्टर चार थाना में तीन मामले दर्ज हुए हैं:
1. राहुल कुमार की झोपड़ी जला दी गई।
2. सीआइएसएफ जवान हरीश सवैया ने बताया कि ड्यूटी से लौटते समय उन्हें घेरकर पीटा गया और उनका वाहन तोड़ दिया गया।
3. दिलीप कुमार ने शिकायत की कि उनकी गाड़ी सेक्टर चार में क्षतिग्रस्त कर दी गई।
लंबित मामले: बस जलाने और नहर काटने की घटनाएं
इलेक्ट्रो स्टील की बस जलाने का मामला सेक्टर चार थाना में दर्ज होना बाकी है।
बालीडीह ओपी क्षेत्र में टेनू नहर को नुकसान पहुंचाए जाने की शिकायत अभी तक दर्ज नहीं हुई है।
क्या होगा आगे?
जिला प्रशासन और बीएसएल प्रबंधन के बीच बातचीत जारी है, लेकिन विस्थापितों का आक्रोश शांत होता नहीं दिख रहा। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगा कि इस हिंसक घटना के पीछे कौन जिम्मेदार है और न्याय कब मिलेगा।
"विस्थापन विरोधी आंदोलन को कुचलने की साजिश!" – भाकपा माले का बड़ा आरोप
"यह कोई साधारण लाठीचार्ज नहीं, बल्कि विस्थापितों के संघर्ष को कुचलने की सुनियोजित साजिश है!" – भाकपा माले ने तीन अप्रैल को बोकारो स्टील प्लांट के बाहर हुए हिंसक झड़प और सीआइएसएफ की कार्रवाई को लेकर जमकर हमला बोला है।
"छत्तीसगढ़ की तरह झारखंड में भी कॉरपोरेट राजशाही!"
माले की राज्य कमेटी ने आरोप लगाया कि "यह घटना छत्तीसगढ़ की तर्ज पर झारखंड में कॉरपोरेट हितों के लिए राज्य प्रायोजित दमन का नमूना है।" पार्टी ने कहा कि "भाजपा-आजसू सरकार विस्थापितों के हक की लड़ाई के नाम पर सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेंक रही है, असल मुद्दों से ध्यान भटकाया जा रहा है।"
"गृहमंत्री और इस्पात मंत्री इस्तीफा दें!"
भाकपा माले ने गृहमंत्री अमित शाह और केंद्रीय इस्पात मंत्री जी कुमारस्वामी से तत्काल इस्तीफे की मांग की है। साथ ही, सीआइएसएफ के उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है, जिनके आदेश पर निहत्थे आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज किया गया और एक युवक की मौत हो गई।
"7-8 अप्रैल को राज्यव्यापी प्रतिवाद!"
माले ने विस्थापितों के न्याय के लिए व्यापक जनसंघर्ष का आह्वान किया है। इसके तहत 7 और 8 अप्रैल को पूरे झारखंड में विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। केंद्रीय कमेटी सदस्य शुभेंदु सेन ने कहा – "सरकार को विस्थापितों की मांगों को गंभीरता से लेना चाहिए, न कि उन पर लाठी बरसानी चाहिए।"
"झारखंड की जनता चुप नहीं बैठेगी!"
राज्य सचिव मनोज भक्त ने चेतावनी दी – "झारखंड की मेहनतकश जनता इस तरह के दमन को बर्दाश्त नहीं करेगी। हम सड़क से लेकर संसद तक इसका जोरदार विरोध करेंगे।"
क्या होगा आगे?
जहां एक तरफ बोकारो प्रशासन ने जांच टीम बनाई है, वहीं भाकपा माले ने आंदोलन को और तेज करने का ऐलान किया है। अब देखना है कि सरकार विस्थापितों की मांगों पर गंभीरता से विचार करेगी या दमन का रास्ता अपनाती रहेगी।
बोकारो बंद के बाद बोकारो स्टील द्वारा बयानबाजी
"हम सिर्फ एक कंपनी नहीं, राष्ट्र की धरोहर हैं"
बोकारो स्टील प्लांट (BSL) ने हाल के दिनों में विस्थापन और आंदोलनों को लेकर उठे सवालों के बीच एक विस्तृत बयान जारी कर अपनी तरफ से स्पष्टीकरण दिया है। कंपनी ने खुद को "सिर्फ एक उद्योग नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का स्तंभ" बताते हुए सभी हितधारकों से शांति और सहयोग की अपील की है।
"हम स्वदेशी गौरव का प्रतीक, लाखों की आजीविका का आधार"
बीएसएल प्रबंधन ने अपने बयान में कहा – "1964 में स्थापित यह संयंत्र न सिर्फ भारत का पहला स्वदेशी स्टील प्लांट है, बल्कि यह हजारों परिवारों की रोजी-रोटी, शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास का केंद्र भी रहा है।"
- तब vs अब: जहां पहले यह इलाका जंगलों और खेती पर निर्भर था, आज BSL ने इसे औद्योगिक विकास की धुरी बना दिया।
- रोजगार का पहिया: संयंत्र प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को रोजगार देता है और पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
"आंदोलनों से उत्पादन ठप, राष्ट्र को हुआ नुकसान"
हाल के दिनों में विस्थापन विरोधी आंदोलनों और हिंसा के चलते BSL को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। प्रबंधन ने माना कि –
करोड़ों का घाटा: उत्पादन रुकने से कंपनी को वित्तीय क्षति हुई, जिसका असर राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा।
समाधान का रास्ता: "हम बातचीत में विश्वास रखते हैं, लेकिन अराजकता से सिर्फ स्थानीय लोगों का नुकसान होगा," – BSL प्रवक्ता।
"संवाद से समाधान की अपील, राष्ट्रसंपत्ति की सुरक्षा जरूरी"
बयान में तीन मुख्य संदेश दिए गए:
1. BSL एक राष्ट्रीय सम्पदा है, जिसकी सुरक्षा सभी की जिम्मेदारी।
2. विस्थापन जैसे मुद्दों पर शांतिपूर्ण बातचीत का दरवाजा हमेशा खुला।
3. हिंसा या बंद से नुकसान सिर्फ स्थानीय लोगों और देश को होता है।
क्या कहता है इतिहास?
- 1964: संयंत्र की स्थापना के साथ बोकारो में औद्योगिक क्रांति की शुरुआत।
- 1990s-अब तक: BSL ने फ्लैट स्टील उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाया।
- सामाजिक योगदान: अस्पताल, स्कूल और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में अग्रणी भूमिका।
आगे का रास्ता?
BSL ने सभी पक्षों से शांति और सहयोग की अपील करते हुए कहा – "हम आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन इसके लिए स्थिरता जरूरी है।"
बोकारो स्टील ने विस्थापित अप्रेंटिस संघ के 500 लोगों के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर, आरोप- "हथियारबंद भीड़ ने किया हिंसक प्रदर्शन"
बोकारो स्टील प्लांट (BSL) प्रबंधन ने विस्थापित अप्रेंटिस संघ के सदस्यों और 500 अज्ञात लोगों के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन, संपत्ति को नुकसान और कानून-व्यवस्था भंग करने का मामला दर्ज कराया है। यह कार्रवाई तीन और चार अप्रैल को हुए उग्र आंदोलन के बाद की गई है, जिसमें एक युवक की मौत हो गई थी और प्लांट को 200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
"धरना प्रतिबंधित था, फिर भी हथियारबंद भीड़ ने किया हमला"
BSL के महाप्रबंधक (सुरक्षा) ने बीएस सिटी थाना में दायर शिकायत में आरोप लगाया है कि:
- 3 अप्रैल को 400-500 लोगों की भीड़ ने हथियारों के साथ प्रशासनिक भवन का घेराव किया।
- 36 घंटे तक प्लांट का मुख्य गेट बंद रहा, जिससे कर्मचारियों और आपूर्ति की आवाजाही ठप हो गई।
- एसडीओ चास ने पहले ही प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी थी, फिर भी आंदोलनकारियों ने हिंसा भड़काई।
"नहर काट दी, पूरे शहर में पानी का संकट"
- 4 अप्रैल की सुबह प्रदर्शनकारियों ने तेनुघाट-बोकारो नहर को काट दिया, जिससे:
- प्लांट की उत्पादन प्रक्रिया बाधित हुई।
- बोकारो स्टील टाउनशिप के हजारों निवासियों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ा।
"अस्पताल तक में भीड़ ने मचाया हंगामा"
शिकायत में यह भी बताया गया कि:
- मृतक के शव के साथ आंदोलनकारियों ने बोकारो जनरल अस्पताल में भी धरना दिया, जिससे मरीजों को दिक्कतें हुईं।
- ड्रोन से ली गई वीडियो फुटेज और घायल सुरक्षाकर्मियों की मेडिकल रिपोर्ट को सबूत के तौर पर पुलिस को सौंपा गया है।
क्या कहता है कानून?
BSL प्रबंधन ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई धाराओं के तहत केस दर्ज कराया है, जिनमें शामिल हैं:
- धारा 147 (दंगा), 148 (हथियारों के साथ दंगा), 332 (सरकारी कर्मचारी को चोट पहुंचाना)
- धारा 353 (अधिकारी के काम में बाधा), 427 (जानबूझकर नुकसान)
अब क्या होगा?
- पुलिस अब वीडियो फुटेज और गवाहों के बयानों के आधार पर आरोपियों की पहचान कर रही है।
- जिला प्रशासन ने पहले ही तीन सदस्यीय जांच टीम बना दी है, जो घटना की जांच करेगी।
सवाल: क्या विस्थापितों की मांगें और BSL की सुरक्षा के बीच कोई समझौता हो पाएगा? या हिंसा का यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा?