झारखंड बजट 2025-26 का महत्व
झारखंड राज्य का बजट प्रत्येक वित्तीय वर्ष में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है, जो राज्य की आर्थिक नीति, योजनाओं और विकास कार्यों को निर्धारित करता है। यह न केवल सरकार के वित्तीय प्रबंधन का एक पैमाना होता है, बल्कि यह राज्य के भविष्य के विकास की दिशा को भी स्पष्ट करता है। झारखंड का बजट सरकार के लिए एक ऐसे औजार की तरह कार्य करता है, जिसके माध्यम से वह राज्य के विभिन्न क्षेत्रों, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सड़क निर्माण, उद्योग और अन्य बुनियादी सुविधाओं के लिए धन आवंटित करता है।
राज्य सरकार के लिए बजट तैयार करना एक जटिल प्रक्रिया होती है, जिसमें वित्तीय स्थिति, राज्य की आय, व्यय, योजनाओं के उद्देश्यों और लंबी अवधि के लक्ष्यों को ध्यान में रखा जाता है। बजट में किए गए आवंटन यह तय करते हैं कि राज्य के विकास के लिए कौन से क्षेत्र प्राथमिकता के रूप में देखे जाएंगे। यह राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि वह किस दिशा में राज्य के नागरिकों के जीवनस्तर को सुधारने और राज्य की समृद्धि को बढ़ाने के लिए कार्य करेगी।
झारखंड के विकास के लिए बजट का महत्व
झारखंड एक संसाधन संपन्न राज्य है, लेकिन यहां के कई क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी है और रोजगार की संभावनाएं भी सीमित हैं। इस कारण राज्य सरकार के लिए बजट एक अवसर प्रदान करता है, जिससे वह इन क्षेत्रों में सुधार करने के लिए आवश्यक उपाय कर सकती है। राज्य के कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश बढ़ाकर सरकार न केवल आर्थिक विकास की दिशा में कदम बढ़ाती है, बल्कि यहां के नागरिकों के जीवन स्तर में भी सुधार लाती है।
राज्य सरकार के लिए रणनीतिक दिशा निर्धारण
झारखंड का बजट केवल एक वित्तीय योजना नहीं है, बल्कि यह राज्य के प्रशासनिक, सामाजिक और आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक रणनीतिक दिशा भी निर्धारित करता है। उदाहरण के लिए, यदि राज्य में कृषि संकट को दूर करने के लिए कृषि क्षेत्र के लिए विशेष आवंटन किया जाता है, तो यह सरकार की दीर्घकालिक योजनाओं का हिस्सा होता है। इसी तरह, अगर बजट में रोजगार सृजन के लिए योजनाएं घोषित की जाती हैं, तो यह झारखंड के युवाओं के लिए भविष्य के अवसरों को सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम होता है।
आर्थिक और सामाजिक सुधार का रास्ता
झारखंड के बजट का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह आर्थिक सुधारों के साथ-साथ सामाजिक सुधारों को भी प्रोत्साहित करता है। जैसे- राज्य में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना, महिलाओं और बच्चों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को बढ़ावा देना, आदिवासी और पिछड़े वर्गों के लिए विशेष योजनाएं बनाना। इस प्रकार, बजट राज्य के सामाजिक ताने-बाने को सुधारने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है।
इसलिए, झारखंड का बजट सिर्फ एक वित्तीय दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह राज्य की समृद्धि, विकास और सामाजिक कल्याण के लिए एक महत्वपूर्ण रोडमैप है। यह बजट यह तय करता है कि राज्य की सरकार अपनी जनता की भलाई के लिए किस दिशा में काम करेगी और किस तरह से राज्य के विकास में योगदान देगी।
24 फरवरी से विधानसभा सत्र 3 मार्च को बजट: विपक्ष ने भी सदन को लेकर बनायी रणनीति, पेश करेगी सरकार
झारखंड विधानसभा का बजट सत्र आज से शुरू होने जा रहा है, जो 27 मार्च तक चलेगा और इसमें कुल 20 कार्य दिवस होंगे। इस महत्वपूर्ण सत्र के पहले दिन राज्यपाल संतोष गंगवार सदन को संबोधित करेंगे। इसके बाद, तीन मार्च को वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट सदन में पेश करेंगे। इस दौरान, 27 फरवरी को वित्तीय वर्ष 2024-25 का तीसरा अनुपूरक बजट भी सदन में प्रस्तुत किया जाएगा।
सदन में प्रस्तुत होने वाले मुद्दे
बजट सत्र का यह समय झारखंड के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दौरान राज्य सरकार और विपक्ष दोनों अपने-अपने दृष्टिकोण से विभिन्न मुद्दों पर अपनी बात रखेंगे। कांग्रेस और महागठबंधन के नेता प्रदीप यादव ने सदन में आगामी मुद्दों पर चर्चा करते हुए बताया कि जातिगत जनगणना और ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर सरकार से सवाल किया जाएगा। खासतौर पर ओबीसी आरक्षण बढ़ाने के लिए राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार को भेजे गए विधेयक पर भी सवाल उठेंगे। प्रदीप यादव ने इस बात को स्पष्ट किया कि सरकार को इस विधेयक को लेकर समाधान खोजना होगा, क्योंकि केंद्र ने इसे लटका कर रखा है।
विपक्ष का रुख और उसकी रणनीति
विपक्ष, खासकर भाजपा के वरिष्ठ विधायक सीपी सिंह ने भी सदन में सरकार को घेरने के लिए अपनी रणनीति बनाई है। उनका कहना है कि विपक्ष के पास मुद्दों की कमी नहीं है और वे पूरी तैयारी के साथ सदन में जाएंगे। सीपी सिंह ने सरकार पर आरोप लगाया कि राज्य में नाममात्र की सरकार ही काम कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जेपीएससी के अध्यक्ष को नियुक्त नहीं कर पा रही है, जिससे अभ्यर्थी परेशान हैं। इसके अलावा, उन्होंने पेपर लीक के मामलों, पेंशन योजनाओं और महिलाओं के लिए सरकार द्वारा की गई नीतियों को लेकर भी सवाल उठाए। उनका कहना है कि सरकार को इन सभी मुद्दों का जवाब देना होगा।
मुख्यमंत्री की तैयारी
इस बीच, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सत्ता पक्ष के विधायकों के साथ बैठक की और उन्हें विधानसभा सत्र के लिए पूरी तैयारी के साथ पहुंचने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी विभागीय मंत्रियों को भी सदन में पूरी तैयारी के साथ उपस्थित होने के लिए कहा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि सत्ता पक्ष को सदन में सरकार के कामकाज को सही तरीके से रखना होगा और विपक्ष को मुद्दों पर घेरने के लिए रणनीति तैयार करनी होगी।
बजट सत्र का महत्व
झारखंड का बजट सत्र न केवल राज्य की आर्थिक योजनाओं को पेश करने का अवसर है, बल्कि यह राज्य की सरकार और विपक्ष के बीच संघर्षों और मुद्दों को हल करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण मंच होता है। जहां सरकार अपनी योजनाओं और विकास कार्यों के बारे में बताएगी, वहीं विपक्ष उन योजनाओं के प्रभाव और निष्पक्षता पर सवाल उठाएगा। इससे यह सत्र राज्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि यह न केवल सरकार की कार्यशैली का आकलन करेगा, बल्कि जनता की समस्याओं और उनकी उम्मीदों को भी सामने लाएगा।
झारखंड बजट 2025-26 का सत्र राज्य की राजनीतिक और आर्थिक दिशा को स्पष्ट करेगा। यह सत्र न केवल वित्तीय प्रबंधन की दिशा निर्धारित करेगा, बल्कि राज्य के विभिन्न सामाजिक और विकासात्मक मुद्दों पर भी बहस होगी। विपक्ष द्वारा उठाए गए सवाल और सरकार की रणनीति इस बात का संकेत देंगे कि झारखंड में आने वाले समय में विकास और सामाजिक कल्याण के लिए किस दिशा में कदम बढ़ाए जाएंगे।
राज्यपाल ने गिनायीं सरकार की उपलब्धियां
झारखंड विधानसभा का बजट सत्र सोमवार से शुरू हुआ, और इस अवसर पर राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने सदन को संबोधित किया। राज्यपाल ने सरकार की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव में जो ऐतिहासिक मतदान हुआ, वह न केवल लोकतंत्र में जन-जन की प्रबल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह सरकार के कार्यों और संकल्पों के प्रति जनता का अटूट विश्वास भी दर्शाता है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को मिला अपार जनादेश यह सिद्ध करता है कि सरकार जनता के दिलों में बसती है और उनके विश्वास को नमन करती है।
राज्यपाल ने यह भी कहा कि सरकार ने अपना कार्यक्षेत्र और संकल्प लेकर राज्य के हर नागरिक की भलाई के लिए काम करना शुरू किया है। उनका कहना था कि राज्य सरकार का मिशन अब झारखंड को समृद्धि की ओर ले जाना है, और यह सरकार अपने इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए पूरी निष्ठा से काम कर रही है। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने झारखंड को देश का अग्रणी राज्य बनाने के लिए एक नया विजन, नई ऊर्जा और नए संकल्प के साथ कार्य करना शुरू कर दिया है।
सरकार की योजनाओं से बदलाव की दिशा
राज्यपाल ने विशेष रूप से सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं का उल्लेख किया, जिनसे राज्य में विकास की नई राह प्रशस्त हुई है। उन्होंने अबुआ आवास योजना और मंईयां सम्मान योजना को उदाहरण के तौर पर पेश किया, जिनसे लाखों लाभार्थी अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव महसूस कर रहे हैं। इन योजनाओं के तहत गरीबों को घर और महिलाओं को सम्मान देने का प्रयास किया गया है। राज्यपाल ने इन योजनाओं की सफलता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ये योजनाएं राज्य के विकास की यात्रा में मील का पत्थर साबित हो रही हैं।
साइबर क्राइम और भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की कार्रवाई
राज्यपाल ने साइबर क्राइम के बढ़ते खतरे पर भी चिंता जताई और बताया कि सरकार इसके खिलाफ कठोर कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रतिबिंब ऐप के माध्यम से 274 साइबर क्राइम मामलों में 898 अपराधियों को गिरफ्तार किया है और 66 करोड़ रुपये की राशि फ्रीज कर दी है। इसके अलावा, 3 करोड़ रुपये की राशि पीड़ितों को भी वितरित की गई है। यह कदम राज्य सरकार की साइबर क्राइम के खिलाफ कड़ी कार्रवाई को दर्शाता है।
भ्रष्टाचार को लेकर भी राज्यपाल ने सरकार की कड़ी नीतियों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार राज्य की एक बड़ी समस्या है, और सरकार इस पर अंकुश लगाने के लिए पूरी तरह संकल्पित है। इस वर्ष 59 भ्रष्टाचार के मामलों में 49 का निष्पादन हुआ है, 52 सफल ट्रैप हुए हैं और 56 लोक सेवकों को गिरफ्तार किया गया है। राज्य सरकार ने एक भ्रष्टाचार मुक्त और भयमुक्त वातावरण बनाने के लिए अपने प्रयासों को तेज किया है।
मुख्यमंत्री का सदन में योगदान
बजट सत्र के पहले दिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी सदन में उपस्थित हुए, और उन्होंने अपनी पत्नी, विधायक कल्पना सोरेन के साथ विधानसभा में प्रवेश किया। मुख्यमंत्री ने सत्ता पक्ष के विधायकों के साथ बैठक की थी, जिसमें उन्होंने उन्हें सदन में उपस्थित रहने और सरकार के कार्यों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने सदन में विपक्ष को मुद्दों पर घेरने के लिए रणनीति तैयार करने की भी बात की।
बजट सत्र का सामूहिक दृष्टिकोण
झारखंड का बजट सत्र इस बार बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें सरकार की उपलब्धियों के साथ-साथ विपक्ष के सवाल भी सामने आएंगे। विपक्ष द्वारा उठाए गए मुद्दे, जैसे कि ओबीसी आरक्षण, भ्रष्टाचार, पेपर लीक, और पेंशन योजनाओं के बारे में सरकार से जवाब मांगा जाएगा। वहीं, सरकार अपने बजटीय घोषणाओं के साथ इन मुद्दों को हल करने की दिशा में कदम उठाने का प्रयास करेगी।
राज्यपाल की ओर से की गई घोषणाएं और मुख्यमंत्री का सदन में सक्रिय योगदान यह दर्शाते हैं कि झारखंड सरकार के लिए यह बजट सत्र विकास, कानून-व्यवस्था, और समाज कल्याण के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मोड़ पर है। राज्य सरकार का लक्ष्य झारखंड को एक समृद्ध और अग्रणी राज्य बनाना है, और इसके लिए सरकार के पास स्पष्ट दिशा, ऊर्जा और संकल्प है।
राज्यपाल ने गिनायीं सरकार की प्रमुख उपलब्धियां
राज्यपाल ने सरकार द्वारा लागू की गई योजनाओं का विवरण देते हुए कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य गरीबों, किसानों, महिलाओं और युवाओं के लिए समृद्धि लाना है। उन्होंने उल्लेख किया कि सरकार ने उग्रवादी हिंसा में मारे गए नागरिकों के आश्रितों को अनुग्रह अनुदान को एक लाख से बढ़ाकर तीन लाख रुपये कर दिया है। इसके अलावा, सभी जिलों को राज्य आपदा निधि से कुल 26.5 करोड़ रुपये की राशि दी गई है।
राज्यपाल ने यह भी बताया कि 91572 निर्माण श्रमिकों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से 63 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई, और 162 प्रवासी श्रमिकों की मृत्यु के बाद उनके आश्रितों को 1.74 करोड़ रुपये दिए गए। यह सरकार के जन कल्याण और विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
सामाजिक और आर्थिक विकास की योजनाएं
राज्यपाल ने राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में सरकार की योजनाओं की भी जानकारी दी:
1.एमएसएमई प्रोत्साहन नीति: औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए एमएसएमई प्रोत्साहन नीति लागू की गई है। साथ ही, 3.45 एकड़ भूमि पर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर का निर्माण कराया जा रहा है।
2. कृषि और किसानों की स्थिति: 2024-25 में 1.82 लाख किसानों की 403 करोड़ रुपये की ऋण माफी की गई। बिरसा फसल विस्तार योजना के तहत 13.62 लाख लाभार्थियों को 477 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया गया। साथ ही, 32 लाख से अधिक किसान बिरसा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में शामिल हुए हैं।
3. मनरेगा और ग्रामीण विकास: मनरेगा के तहत 7.79 करोड़ मानव दिवस का सृजन हुआ है और 2620 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई। राज्य में 917 ग्राम पंचायतों में ज्ञान केंद्र की स्थापना की जा रही है।
4. अबुआ आवास योजना: इस योजना के तहत 4.5 लाख लाभार्थियों को राशि दी गई है, और हरित क्रांति ग्राम योजना के तहत 32 हजार परिवार बागवानी कार्य कर रहे हैं।
5, आजीविका मिशन: राज्य में 2.9 लाख सखी मंडलों का गठन किया गया है, जिससे महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त किया जा रहा है।
सत्र में औद्योगिक विकास और रोजगार पर चर्चा
बजट सत्र के दौरान सरकार औद्योगिक विकास और रोजगार के मुद्दों पर जोर दे रही है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस बात पर बल दिया कि सरकार न केवल राज्य में उद्योगों की संख्या बढ़ाने के लिए काम कर रही है, बल्कि रोजगार के अवसर भी सृजित कर रही है। इस वर्ष, 81 कैंप और 63 रोजगार मेलों में 8499 युवाओं को रोजगार के लिए चयनित किया गया है।
सत्र की कार्यवाही और विपक्ष का विरोध
विधानसभा सत्र के पहले दिन राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान विधानसभा में विपक्षी दलों ने सरकार की नीतियों और कार्यों पर सवाल उठाए। पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने राज्यपाल के अभिभाषण को "झूठ का पुलिंदा" करार दिया। उन्होंने कहा कि राज्य में किसान हताश और निराश हैं, और यह अभिभाषण केवल सरकार की कार्यप्रणाली को ढकने की कोशिश है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विधानसभा में सत्ता पक्ष का कोई सदस्य ताली नहीं बजा रहा था, जो सरकार के लिए निराशा का संकेत है।
वहीं, भाजपा विधायक जयराम महतो ने पेपर लीक के मामले को सरकार की नाकामी का प्रमाण बताया। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा सरकार के अंगों की मिलीभगत से हुआ है और इसे बिना प्रशासनिक मदद के संभव नहीं हो सकता था। इसके साथ ही, पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने भी इस मामले पर बयान देते हुए कहा कि यह कोई नई बात नहीं है और ऐसे मामले राज्य में अक्सर होते रहे हैं।
सदन में कार्यमंत्रणा समिति की बैठक
सदन की कार्यमंत्रणा समिति की बैठक भी आयोजित की गई, जिसमें बजट पर चर्चा के लिए तारीख तय की गई। पहले बजट पर चर्चा के लिए एक दिन निर्धारित था, लेकिन विपक्ष के आग्रह पर इसे बढ़ाकर दो दिन कर दिया गया। यह निर्णय सदन में सार्थक बहस और चर्चा के लिए एक सकारात्मक कदम है।
विधानसभा की कार्यवाही में प्रशिक्षण कार्यक्रम
विधानसभा में विधायकों के लिए 1 और 2 मार्च को एक प्रबोधन सह प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया गया है। इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन करेंगे, और इसमें राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश तथा संसदीय कार्य मंत्री राधाकृष्ण किशोर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। यह कार्यक्रम विधायकों को सदन की गरिमा बनाए रखने, लोकतंत्र एवं समावेशी विकास, और संसदीय कार्यप्रणाली से अवगत कराने के लिए आयोजित किया जा रहा है।
पेपर लीक और मंईयां सम्मान योजना
इस बजट सत्र में पेपर लीक के मामले पर भी चर्चा हुई। शिक्षा मंत्री रामदास सोरेने ने कहा कि 10वीं बोर्ड पेपर लीक मामले की जांच एसआईटी को सौंप दी गई है, और सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए जांच शुरू कर दी है। वहीं, विपक्षी विधायक पूर्णिमा दास ने मंईयां सम्मान योजना के तहत बकाया राशि के मुद्दे पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया। उनका आरोप था कि चुनाव के समय जो राशि दी गई थी, वह केवल चुनावी राजनीति का हिस्सा था, और अब जब योजना की राशि का भुगतान करना था, तो सरकार इस मामले में त्रुटि ढूंढ रही है।
बजट सत्र में उठाये गए सवालों और मंत्रियों के जवाब
बजट सत्र के दौरान विधानसभा में कई मुद्दों पर सवाल उठाए गए, जिनके जवाब मंत्रियों ने दिए। इन सवालों में राज्य के खनन क्षेत्रों में विस्फोट से होने वाले नुकसान, फैक्ट्री नियमों में संशोधन, विस्थापन के मुद्दे, और स्वास्थ्य से जुड़े सवाल शामिल थे।
1. खनन क्षेत्रों में विस्फोट से नुकसान की जांच
कांके विधायक सुरेश बैठा ने खलारी एनके एरिया में कोयला खदानों में अवैध विस्फोटों को लेकर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि विस्फोट के कारण कई घरों में दरारें आ गई हैं। इसके जवाब में मंत्री योगेंद्र महतो ने कहा कि खनन मानकों के अनुसार विस्फोट किए जाते हैं, लेकिन यदि कहीं नुकसान हुआ है, तो सरकार इसकी जांच कराएगी।
2. फैक्ट्री रूल में संशोधन
भा.ज.पा. विधायक अमित यादव ने फैक्ट्री रूल 1950 में संशोधन की मांग की। इसके तहत लाइसेंस की वैधता और शुल्क से जुड़े प्रावधानों को बदलने की आवश्यकता बताई गई। सरकार ने इसे स्वीकार करते हुए दो धाराओं में संशोधन किया। इससे खनन और उद्योग से जुड़ी समस्याओं का समाधान हो सकता है।
3. डीएमएफटी नियमावली में बदलाव
विधायक मथुरा प्रसाद ने जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) नियमावली में संशोधन की बात की। उन्होंने कहा कि इस नियमावली के अनुसार खनन क्षेत्र के 15-25 किलोमीटर के दायरे में ही विकास कार्य किए जा सकते हैं, जिससे सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में रुकावट आ रही है। मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने इसे राज्य और जनहित में उचित नहीं माना और इसे बदलने की जरूरत बताई।
4. विस्थापन की सूची में करियावां गांव का समावेश
विधायक अमित यादव ने कोडरमा थर्मल पावर स्टेशन के लिए भूमि अधिग्रहण के दौरान करियावां गांव को विस्थापित गांवों की सूची में शामिल न करने का मुद्दा उठाया। मंत्री दीपक बिरुआ ने बताया कि करियावां मौजा को अब विस्थापित गांवों की सूची में शामिल किया जाएगा।
5. स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़ी समस्याएँ
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने हजारीबाग में 500 बेड के मेडिकल कॉलेज के निर्माण की जानकारी दी। इसके अलावा, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, जैसे डॉक्टरों की भर्ती और मेडिकल उपकरणों की व्यवस्था।
साथ ही, शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने बताया कि 80 उत्कृष्ट विद्यालयों का उद्घाटन किया गया है। इनमें स्मार्ट क्लासेस की योजना भी शुरू की जाएगी और शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया जारी है।
6. भा.ज.पा. विधायक पर आरोप
उच्च शिक्षा मंत्री सुदिव्य सोनू ने भाजपा के विधायक पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे जैक बोर्ड परीक्षा पेपर लीक मामले में लोगों को दिग्भ्रमित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस कार्रवाई कर रही है और जल्द ही इस मामले का खुलासा होगा।
सदन में बालू पर शोर: भाजपा विधायक सीपी सिंह की मांग
झारखंड विधानसभा में बालू की कमी और अवैध कारोबार पर फिर से चर्चा शुरू हो गई है। भाजपा विधायक नवीन जायसवाल ने सदन में यह मुद्दा उठाया, जिसमें उन्होंने बालू की गंभीर किल्लत और इसके महंगे होने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि राज्य के 444 बालू घाटों में से सिर्फ 20 घाटों की बंदोबस्ती हुई है, जिससे बालू की कीमतों में चार गुना वृद्धि हो गई है और आम जनता को इसकी उपलब्धता मुश्किल हो रही है।
विधायक ने यह भी कहा कि सरकारी योजनाओं, जैसे 'अबुआ आवास' और 'प्रधानमंत्री आवास योजना' के लिए भी बालू उपलब्ध नहीं हो रहा है। इस पर राज्य के प्रभारी मंत्री योगेंद्र महतो ने जवाब दिया कि सरकार आम जनता की चिंता करती है और इसके लिए एक विशेष एक्ट लागू किया गया है। उन्होंने बताया कि जो लोग टैक्स नहीं दे सकते, उन्हें सरकार फ्री में बालू प्रदान कर रही है। मंत्री ने यह भी जानकारी दी कि 261 बालू घाटों को एलओवाई (लैंड ऑक्यूपेंसी यूटिलिटी) जारी किया गया है और 64 घाटों को पर्यावरण स्वीकृति मिल गई है।
सीपी सिंह की सीधी मांग
इस बीच, भाजपा विधायक सीपी सिंह ने मंत्री से सीधे सवाल किया कि सरकार ने अब तक कितने गरीबों को फ्री में बालू दिया है। सिंह ने अपने निर्माण कार्यों के लिए दो हाइवा बालू की मांग की और पूछा कि पैसा कहां जमा करना है। उनका कहना था कि अगर एक विधायक को ही बालू नहीं मिल रहा, तो आम जनता की स्थिति क्या होगी।
अवैध बालू कारोबार पर भी चर्चा
इस मुद्दे पर भाजपा विधायक मनोज यादव ने अवैध बालू कारोबार की ओर भी इशारा किया। उनका कहना था कि लोग चोरी का बालू खरीदने को मजबूर हैं और यह बालू बिहार से झारखंड आ रहा है। मंत्री योगेंद्र महतो ने इस पर जवाब दिया कि यदि कोई बालू चाहता है, तो वह ऑनलाइन आवेदन कर सकता है, और बालू उसे उपलब्ध करा दिया जाएगा।
मंत्री ने यह भी बताया कि जेएसएमडीसी के पास 21 लाख सीएफटी बालू मौजूद है, और सरकार ने अब तक 1.63 लाख सीएफटी बालू मुफ्त में जनता को प्रदान किया है।
विधानसभा कार्यवाही पर विश्लेषण
इस समाचार में झारखंड विधानसभा के बजट सत्र की कार्यवाही का विवरण दिया गया है। विभिन्न विधायक और मंत्री अपनी-अपनी बातों से सदन में अपना पक्ष रख रहे हैं। इसमें कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई है, जिसमें चक्रधरपुर में जवाहरलाल नेहरू कॉलेज के लिए भवन निर्माण, बरवाडीह में डिग्री कॉलेज की मांग, राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा, और राज्य सरकार की योजनाओं की समीक्षा की गई है। आइए, इन मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करें:
1. चक्रधरपुर में कॉलेज भवन का निर्माण
प्रमुख तथ्य:
- चक्रधरपुर के विधायक सुखराम उरांव ने सदन में तारांकित प्रश्न उठाया था कि जवाहरलाल नेहरू महाविद्यालय के लिए नया भवन निर्माण कराया जाए।
- प्रभारी मंत्री सुदिव्य कुमार ने बताया कि इस कॉलेज के लिए भवन का निर्माण किया जाएगा और इसकी डीपीआर तैयार हो रही है।
विश्लेषण: यह कदम चक्रधरपुर में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है, क्योंकि वर्तमान में महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं को अर्जुन सिंह के महल में पठन-पाठन करना पड़ रहा है, जो कि उचित नहीं है। नए भवन के निर्माण से छात्रों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
2. बरवाडीह में डिग्री कॉलेज की मांग
प्रमुख तथ्य:
- विधायक रामचंद्र सिंह ने तारांकित प्रश्न उठाया कि बरवाडीह में डिग्री कॉलेज की आवश्यकता है।
- मंत्री सुदिव्य कुमार ने कहा कि सरकार इस पर विचार कर रही है और जल्द निर्णय लिया जाएगा।
विश्लेषण: बरवाडीह क्षेत्र में डिग्री कॉलेज की कमी महसूस की जा रही है। यह कदम क्षेत्रीय शिक्षा के स्तर को ऊंचा कर सकता है, और छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए दूर-दराज़ क्षेत्रों में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। यह एक अच्छा निर्णय साबित हो सकता है, अगर इसे जल्दी अमल में लाया जाए।
3. राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा
प्रमुख तथ्य:
- स्टीफन मरांडी ने राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए कहा कि सरकार ने विकास कार्यों को बढ़ावा दिया है और कानून व्यवस्था में सुधार किया है।
- प्रदीप यादव ने इसे गरीबों की आकांक्षाओं को पूरा करने वाला बताया और विपक्ष को यह सलाह दी कि वे राजनीति से परे विचार करें।
विश्लेषण: राज्यपाल का अभिभाषण सरकार की योजनाओं का सारांश प्रस्तुत करता है, और इसे जनता की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। स्टीफन मरांडी और प्रदीप यादव ने इसे सकारात्मक दृष्टिकोण से देखा, लेकिन विपक्ष ने इसे आलोचना की। यह दर्शाता है कि सरकार के कामकाज को लेकर सदन में विचार-विमर्श और विभाजन हो रहा है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है।
4. विपक्ष की आलोचना और सरकारी नीतियां
प्रमुख तथ्य:
- विपक्षी नेता सीपी सिंह ने वर्तमान सरकार की नीतियों पर आलोचना की और इसे "लूट, हत्या और बलात्कार" की सरकार कहा।
- उमाकांत रजक ने इसे उलटते हुए वर्तमान सरकार की विकास योजनाओं और महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया।
विश्लेषण: सीपी सिंह द्वारा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जो विपक्ष की निराशा और असहमति को दर्शाते हैं। हालांकि, उमाकांत रजक ने सरकार की सकारात्मक योजनाओं का जिक्र करते हुए विपक्ष को आलोचना करने से बचने की सलाह दी। यह संवाद सरकार और विपक्ष के बीच राजनीतिक संघर्ष को उजागर करता है।
5. विस्थापितों की स्थिति
प्रमुख तथ्य:
- विधायक जयराम महतो ने विस्थापितों के मुद्दे को उठाया और कहा कि उनकी आवाज सरकार द्वारा नहीं सुनी जा रही है।
- उन्होंने यह भी कहा कि मांडू में लोग धरने पर बैठे हैं और सरकार उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रही है।
विश्लेषण: विस्थापितों के मुद्दे को गंभीरता से उठाया गया है। यह दर्शाता है कि राज्य में कुछ वर्गों को अभी भी अपनी समस्याओं का समाधान नहीं मिल पा रहा है, जिससे सरकारी नीतियों और उनके क्रियान्वयन पर सवाल उठते हैं।
वित्त मंत्री से बजट पूर्व संवाद: झारखंड का बजट 2025-26
झारखंड सरकार 3 मार्च 2025 को अपना बजट प्रस्तुत करेगी, जो कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार का दूसरा बजट होगा। इस बजट में राज्य की वित्तीय स्थिति, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, और सामाजिक क्षेत्र में सुधार पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने इस बजट के उद्देश्य और प्राथमिकताएं स्पष्ट की हैं।
बजट का उद्देश्य: ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सामाजिक क्षेत्र का उत्थान
वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने बजट के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह बजट ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और सामाजिक क्षेत्र में सुधार के लिए तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य की आधी आबादी के लिए खास योजनाएं बनाई जा रही हैं, जैसे मंईया सम्मान योजना, जो महिलाओं और ग्रामीण समुदाय के विकास के लिए केंद्रित है।
मंईया सम्मान योजना पर ध्यान
इस योजना को लेकर सरकार ने विशेष ध्यान दिया है, क्योंकि यह ग्रामीण महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। वित्त मंत्री ने इसे ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि यह योजना महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए बनाई गई है।
बजट का आकार और राजस्व संग्रहण
वित्त मंत्री ने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष के लिए बजट का आकार ₹28,900 करोड़ है और राजस्व संग्रहण का लक्ष्य ₹78,047 करोड़ है। जनवरी तक 60% राजस्व संग्रहण हो चुका है, और सरकार का प्रयास है कि टैक्स चोरी को रोक कर अधिक राजस्व जुटाया जाए।
विभागों के लिए सलाह
वित्त मंत्री ने सभी विभागों से यह अपेक्षाएँ रखी हैं कि वे केवल कागज पर खर्च का ब्योरा न दें, बल्कि योजनाओं के वास्तविक परिणाम का आकलन भी करें। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हर योजना के परिणाम बेहतर हों।
कोयला और खनिज संसाधन से आय में वृद्धि
राज्य के कोयला और खनिज संसाधन राज्य के लिए अतिरिक्त राजस्व का स्रोत बन सकते हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि यदि केंद्र सरकार राज्य का ₹1.36 करोड़ का बकाया भुगतान कर दे, तो यह राज्य की आर्थिक स्थिति को और मजबूत बना सकता है।
टैक्स चोरी पर नियंत्रण और वित्तीय भार
वित्त मंत्री ने यह स्पष्ट किया कि इस बजट में जनता पर कोई वित्तीय भार नहीं डाला जाएगा। राज्य सरकार टैक्स चोरी को रोकने के लिए कदम उठा रही है, जिससे ₹7,000-8,000 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त किया जा सकता है।
निष्कर्ष
विधानसभा का बजट सत्र इस बार कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्रित है, जिसमें सरकार के विकास कार्यों के साथ-साथ विपक्ष के विरोध और सवाल भी प्रमुख रूप से उठ रहे हैं। यह सत्र न केवल राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए अहम है, बल्कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और सरकार की जवाबदेही की भी परीक्षा होगी।
इस सत्र में उठाए गए सवालों और उनके जवाबों से यह साफ है कि राज्य सरकार को खनन, विस्थापन, और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर ध्यान देना है। कुछ मुद्दों पर संशोधन की आवश्यकता महसूस हो रही है, जबकि कुछ मामलों में सरकार ने जांच और सुधार की प्रक्रिया शुरू करने का आश्वासन दिया है।
इस मुद्दे ने सदन में काफी देर तक बहस को जन्म दिया और सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बावजूद बालू की किल्लत और इसके महंगे होने की समस्या बनी हुई है। इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक दलों में आक्रामक वाद-विवाद हो रहा है, और सरकार की नीतियों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
इस बजट में राज्य सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था, महिलाओं के सशक्तिकरण, और सामाजिक क्षेत्र में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया है। साथ ही, टैक्स चोरी को रोकने और खनिज संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने का प्रयास किया जाएगा। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि जनता पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार न पड़े, और हर विभाग अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जिम्मेदारी से कार्य करे।