झारखंड का अबुआ बजट 2025 : मंईयां सम्मान योजना से आदिवासी और महिला विकास को मिलेगा नया संबल

 

झारखंड का अबुआ बजट 2025 : मंईयां सम्मान योजना से आदिवासी और महिला विकास को मिलेगा नया संबल 

झारखंड विधानसभा में सोमवार को पेश हुआ राज्य का अबुआ बजट 2025, जिसमें राज्य सरकार ने किसानों, युवाओं, महिलाओं, और आदिवासी समुदायों के विकास के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने का संकल्प लिया है। इस बजट में राज्य के समाज कल्याण विभाग को सबसे बड़ी राशि आवंटित की गई है, जो आने वाले समय में समाज के सबसे कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए सहायक सिद्ध होगा। विशेष रूप से, मंईयां सम्मान योजना का फोकस आदिवासी समुदाय और महिलाओं के सशक्तिकरण पर है, जिसे लेकर इस बजट में 13,363 करोड़ रुपये की ऐतिहासिक राशि आवंटित की गई है।

मंईयां सम्मान योजना: महिलाओं और आदिवासियों के लिए एक बड़ी पहल

झारखंड सरकार की मंईयां सम्मान योजना आदिवासी समुदाय और महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार लाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी। इस योजना के तहत, राज्य सरकार महिलाओं और आदिवासियों के लिए सामाजिक सुरक्षा, स्वावलंबन, और शिक्षा के क्षेत्र में कई प्रोत्साहन देने की योजना बना रही है।

यह योजना न केवल महिलाओं को रोजगार और स्वरोजगार के अवसर प्रदान करेगी, बल्कि आदिवासी समुदाय के बच्चों के लिए शिक्षा के नए रास्ते भी खोलेगी। आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ सेवाओं की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने विशेष योजनाएं बनाई हैं, जिससे इन समुदायों का जीवन स्तर सुधर सके।

लाभुकों का सत्यापन और आधार लिंक की प्रक्रिया

हालांकि, मंईयां सम्मान योजना का उद्देश्य आदिवासी और महिलाओं को सीधे लाभ पहुंचाना है, लेकिन योजना के संचालन में कुछ पेचिदगियां भी सामने आई हैं।

अब तक लगभग 40 लाख लाभुकों के बैंक खातों को आधार से लिंक किया गया है, लेकिन 20 लाख से ज्यादा लाभुकों के खाते अभी भी आधार से जुड़े नहीं हैं। इसका मतलब है कि बड़ी संख्या में लाभुक योजना का लाभ पाने से वंचित हो सकते हैं, अगर केवल उन लाभुकों को राशि ट्रांसफर की जाती है जिनके बैंक खाते आधार से जुड़े हैं।

पिछले दो महीनों (जनवरी और फरवरी) की राशि बकाया है, और इसका मुख्य कारण लाभुकों के आवेदन का सत्यापन पूरी तरह से न होना माना जा रहा है। राज्य सरकार ने जिलों को मार्च तक की राशि पहले ही उपलब्ध करा दी है, ताकि सत्यापन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद एकमुश्त राशि ट्रांसफर की जा सके। इसके परिणामस्वरूप, जनवरी और फरवरी की राशि के साथ मार्च की राशि भी लाभुकों को एक साथ मिल सकती है, जिससे प्रत्येक लाभुक को 7,500 रुपये की राशि प्राप्त होगी।

गड़बड़ियां और फर्जीवाड़े की चुनौती

झारखंड में मंईयां सम्मान योजना के संचालन में कई प्रकार की गड़बड़ियां और फर्जीवाड़े के मामले भी सामने आए हैं। कई लाभुकों ने एक से अधिक जिलों में आवेदन किया है और कई सरकारी कर्मचारी और पेंशनधारी भी इस योजना के तहत लाभ प्राप्त कर रहे हैं। इसके अलावा, कुछ लाभुकों द्वारा गलत जानकारी देकर या फर्जी आवेदन करके योजना का लाभ उठाने की कोशिश की गई है।

उदाहरण के तौर पर, रामगढ़ जिले में 2,750 लाभुकों ने दो खातों का उपयोग कर आवेदन दिया, वहीं पलामू में 584 अयोग्य व्यक्तियों ने योजना की राशि प्राप्त की। इसके अलावा, कई मामलों में ऐसे लाभुक पाए गए हैं, जिनकी पेंशन योजना से पहले से ही जुड़ी हुई थी, फिर भी उन्हें मंईयां सम्मान योजना की राशि मिल रही थी।

गिरिडीह जिले में भी एक गंभीर मामला सामने आया, जिसमें एक ही बैंक अकाउंट से दो अलग-अलग लाभुकों को योजना की राशि दी जा रही थी। इसके बाद विभाग ने इस मामले की जांच शुरू की और राशि की रिकवरी की प्रक्रिया भी चालू की है।

सत्यापन प्रक्रिया की महत्ता

योजना के सही संचालन के लिए सत्यापन प्रक्रिया बेहद महत्वपूर्ण है। समाज कल्याण विभाग ने जनवरी में ही मंईयां सम्मान योजना के लाभुकों की सत्यापन प्रक्रिया को पूरा करने के निर्देश दिए थे। हालांकि, जिलों में इस प्रक्रिया में देर हो रही है, जिसके कारण योजना के लाभ को सही ढंग से पहुंचाने में अड़चनें आ रही हैं। अब विभाग ने मार्च तक सत्यापन प्रक्रिया को पूरा करने की योजना बनाई है, जिससे पात्र लाभुकों को समय पर राशि मिल सके।

मिल रही गड़बड़ियां: घर-घर जाकर सत्यापन का कार्य

राज्य में मंईयां सम्मान योजना के लाभुकों का सत्यापन अब जिलास्तर पर चल रहा है, और कर्मचारी घर-घर जाकर लाभुकों का सत्यापन कर रहे हैं। इस दौरान कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां अपात्र लाभुकों ने राशि प्राप्त की है। इनमें वे महिलाएं भी शामिल हैं, जिनके पति सरकारी नौकरी कर रहे हैं। इसके अलावा, कई संविदा कर्मियों और मानदेय पर काम करने वाले कर्मचारियों की पत्नियों ने भी योजना का लाभ लिया है।

यह योजना उन लोगों के लिए नहीं है, जो सरकारी या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में कार्यरत हैं या जिन्होंने पेंशन योजना का लाभ लिया है। इसके बावजूद, कई ऐसे लाभुक सामने आए हैं, जिन्होंने इन नियमों की अवहेलना की है और योजना का लाभ उठा लिया।

राज्य सरकार ने इस गड़बड़ी को लेकर जिलों को निर्देशित किया है कि वे जल्द से जल्द सत्यापन प्रक्रिया पूरी करें और अपात्र लाभुकों से योजना की राशि की वसूली करें।

झारखंड मंईयां सम्मान योजना: 5,02,000 लाभुकों के सत्यापन में फर्जीवाड़े का खुलासा, पोर्टल से हटेंगे नाम

झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के तहत गिरिडीह जिले में लाभुकों के सत्यापन में व्यापक स्तर पर फर्जीवाड़े का पता चला है। अब तक 5,02,000 लाभुकों का सत्यापन किया गया, जिसमें से 3,912 अयोग्य लाभुकों को चिह्नित किया गया है। इन अयोग्य लाभुकों का नाम अब पोर्टल से हटा दिया जाएगा, और उनसे राशि की वसूली भी शुरू की जाएगी। यह जांच पूरी तरह से पंचायतवार सत्यापन के आधार पर की जा रही है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि योजना का लाभ केवल पात्र व्यक्तियों तक ही पहुंचे।

गिरिडीह जिले में फर्जीवाड़े का मामला

गिरिडीह जिले के सत्यापन में सबसे ज्यादा अयोग्य लाभुक सदर प्रखंड से मिले हैं। इसके बाद जमुआ और गांडेय प्रखंडों में भी कई गलत जानकारी देने वाले लाभुक पाए गए हैं। इसमें उन महिलाओं का भी समावेश है, जिनके पति सरकारी कर्मचारियों के रूप में कार्यरत हैं, या जो पारा शिक्षक, सहिया, वार्ड सदस्य या उप मुखिया हैं।

इसके अलावा, कई नाबालिग बच्चों ने भी योजना का लाभ प्राप्त किया है, जो कि सरकार द्वारा निर्धारित मापदंडों के तहत योग्य नहीं हैं। इस सबके बीच, यह भी सामने आया है कि योजना की राशि को गलत तरीकों से निकालने के लिए बिचौलियों और सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर) के संचालकों ने भी अपनी भूमिका निभाई है।

फर्जीवाड़े में सीएससी संचालकों का शामिल होना

सीएससी संचालकों द्वारा भी इस योजना का दुरुपयोग करने के मामले सामने आए हैं। गांडेय प्रखंड में एक सीएससी संचालक ने लाभुकों के आवेदन में अपने परिजनों के बैंक खाते नंबर डालकर राशि की निकासी की। उदाहरण स्वरूप, चार लाभुकों की राशि एक सीएससी संचालक के बेटे के खाते में भेज दी गई। इसके अलावा, ताराटांड़ में एक और मामला सामने आया, जिसमें दो अलग-अलग लाभुकों की राशि एक ही बैंक खाते में भेजी गई।

सत्यापन और वसूली की प्रक्रिया

गिरिडीह जिले में अब तक 3,912 अयोग्य लाभुकों को चिह्नित किया गया है, जिनका नाम पोर्टल से हटा दिया जाएगा और उनके द्वारा ली गई राशि की वसूली की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। इस मामले में सामाजिक सुरक्षा के सहायक निदेशक कौशिक अप्पू ने बताया कि सरकार के निर्देशों के तहत अयोग्य लाभुकों को चिह्नित किया जा रहा है, और उनकी राशि की रिकवरी की जाएगी।

गिरिडीह जिले में सत्यापन प्रक्रिया अभी भी जारी है, और इसे पंचायत स्तर पर पूरा किया जा रहा है। इसके अलावा, सीएससी संचालकों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जा रही है, जो इस फर्जीवाड़े में शामिल पाए गए हैं।

सत्यापन के दौरान मिल रहे फर्जीवाड़े के अन्य मामले

सत्यापन के दौरान यह भी पाया गया कि कई लाभुकों ने जानबूझकर गलत बैंक खाता नंबर, गलत मोबाइल नंबर और अन्य गलत जानकारी देकर योजना का लाभ उठाने की कोशिश की। ऐसे मामलों में सीएससी संचालकों ने भी अपने लाभ के लिए गलत तरीके से राशि निकाली है, जिससे योजना के उद्देश्य पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

इसलिए, सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि केवल वही महिलाएं इस योजना का लाभ प्राप्त करें, जो सरकारी मापदंडों को पूरा करती हैं और जिनके पास पात्रता है। अब तक जो अयोग्य लाभुक पाए गए हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है, और उन्हें योजना से बाहर किया जाएगा।

मंईयां योजना न तो रेवड़ी है और न ही फ्री बीज

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंईयां सम्मान योजना को लेकर विपक्ष के आरोपों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि यह योजना महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए लाई गई है, और इसका उद्देश्य केवल उनके जीवन स्तर में सुधार करना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मंईयां सम्मान योजना न तो रेवड़ी है और न ही फ्री बीज।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि इस योजना के लिए किसी विभाग से राशि की कटौती नहीं की गई है। सरकार ने केवल उन विभागों से एक प्रतिशत की राशि की कटौती की है, जिनके पास खर्च करने के लिए पर्याप्त धनराशि नहीं थी। यह राशि जनहित में उपयोग की जा रही है। विपक्ष द्वारा 450 रुपये में गैस सिलिंडर के मुद्दे को उठाने पर मुख्यमंत्री ने टिप्पणी की कि उन्हें प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की सफलता दिखाई नहीं देती, जो गरीब महिलाओं को सस्ती गैस सिलिंडर उपलब्ध कराती है।

समाज कल्याण विभाग के लिए ऐतिहासिक प्रावधान

इस बजट में सबसे ज्यादा राशि समाज कल्याण विभाग के लिए आवंटित की गई है, कुल 20,672.68 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है, जिसमें से 13,363 करोड़ रुपये मंईयां सम्मान योजना के लिए निर्धारित किए गए हैं। यह राशि न केवल पेंशन और सामाजिक सुरक्षा के लिए होगी, बल्कि राज्य के विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लिए भी खर्च की जाएगी। यह प्रावधान राज्य के समग्र विकास में एक नया मोड़ साबित हो सकता है, क्योंकि समाज के कमजोर वर्गों की बेहतरी के लिए इतना बड़ा निवेश पहले कभी नहीं हुआ।

कर्मचारियों की पेंशन पर खर्च

झारखंड सरकार ने आगामी वित्तीय वर्ष में कर्मचारियों की पेंशन पर भी 10,173 करोड़ रुपये खर्च करने का अनुमान जताया है, जो कि मंईयां सम्मान योजना के लिए आवंटित राशि से भी ज्यादा है। यह दिखाता है कि राज्य सरकार अपने सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन और भत्तों को लेकर भी गंभीर है और इसके लिए समुचित प्रावधान कर रही है।

झारखंड का यह बजट कैसे प्रभाव डालेगा?

झारखंड के अबुआ बजट में समाज कल्याण और आदिवासी-महिला कल्याण के लिए किए गए इन प्रावधानों से न केवल राज्य के सामाजिक ताने-बाने को मजबूती मिलेगी, बल्कि आर्थिक वृद्धि और बुनियादी ढांचे के विस्तार में भी महत्वपूर्ण योगदान होगा। महिलाओं के सशक्तिकरण और आदिवासी समुदाय की समृद्धि में यह बजट मील का पत्थर साबित हो सकता है।

साथ ही, इस बजट का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह राज्य की विकास योजनाओं को एक समावेशी दृष्टिकोण से देखता है, जिसमें हर वर्ग को समान अवसर मिलेंगे। यह बजट न केवल आदिवासी और महिला विकास, बल्कि युवाओं के लिए भी नए अवसर पैदा करेगा, जिससे राज्य में बेरोजगारी की समस्या में कमी आ सकती है।

हाट-बाजार में पैसा जाने से लोगों को मिलेगी आर्थिक मजबूती

झारखंड सरकार की 'मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना' के तहत महिलाओं के बैंक खातों में एक साथ तीन महीने की राशि जारी की गई है। इस योजना के तहत 38.34 लाख लाभुक महिलाओं के खाते में कुल ₹2,880 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए जा रहे हैं। यह राशि जनवरी से मार्च तक की है, जिसमें प्रत्येक महिला को ₹7,500 मिलेंगे। इसका सीधा प्रभाव राज्य की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगी मजबूती

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस योजना से ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को तत्काल लाभ मिलेगा। ग्रामीण इलाकों में छोटे दुकानदारों से लेकर हाट-बाजार तक में इस राशि का प्रवाह बढ़ेगा। हाट-बाजार ग्रामीण क्षेत्रों में खरीद-बिक्री का प्रमुख केंद्र होते हैं, जहां खाद्य सामग्री, कपड़े और त्योहारों से जुड़े सामान की खरीदारी होती है। इस राशि से इन बाजारों में खरीदारी बढ़ने की उम्मीद है, जिससे स्थानीय व्यापारियों को फायदा होगा।

होली और ईद के बाजार पर प्रभाव

होली के त्योहार के दौरान रंग, गुलाल, पिचकारी, मुखौटे, कपड़े और मिठाइयों की खरीदारी बढ़ती है। इस राशि के मिलने से होली के बाजार में उछाल आने की संभावना है। इसी तरह, होली के बाद ईद का त्योहार भी आने वाला है, जिसमें नए कपड़े, मिठाइयां, सेवई और उपहारों की खरीदारी होती है। योजना के तहत मिलने वाली राशि से इन त्योहारों के दौरान बाजार गुलजार रहेंगे।

महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार

योजना का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। इस राशि का उपयोग करके महिलाएं छोटे व्यवसाय, कृषि, पशुपालन, सिलाई, डेयरी, मुर्गी पालन और बागवानी जैसे कार्यों में निवेश कर सकती हैं। इससे न केवल उनकी आय में वृद्धि होगी, बल्कि उनका जीवन स्तर भी सुधरेगा। साथ ही, यह योजना परिवारों की आमदनी बढ़ाने में भी सहायक होगी।

विशेषज्ञों की राय

धनबाद के पीके राय मेमोरियल कॉलेज में अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ. मुनमुन शरण का कहना है कि 'मंईयां सम्मान योजना' ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इसके तहत महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है, जिससे वे छोटे व्यवसायों में सक्रिय भागीदारी निभा सकेंगी। इससे स्थानीय बाजार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

 

निष्कर्ष

झारखंड का अबुआ बजट 2025 राज्य के समाज के सबसे कमजोर वर्गों, खासकर आदिवासी और महिला समुदायों के लिए एक ऐतिहासिक अवसर लेकर आया है। मंईयां सम्मान योजना के तहत की गई विशाल प्रावधान से इन समुदायों को एक नई दिशा मिलेगी, जिससे न केवल उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि राज्य के समग्र विकास को भी गति मिलेगी। हालांकि, योजना में आ रही गड़बड़ियों और फर्जीवाड़े की समस्याओं को शीघ्र हल करने के लिए सत्यापन प्रक्रिया को तेज करने की आवश्यकता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि योजना का लाभ केवल पात्र लाभुकों तक ही पहुंचे।

इस तरह, झारखंड सरकार का यह बजट और मंईयां सम्मान योजना राज्य के सामाजिक सुरक्षा और सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है, बशर्ते विभागीय प्रक्रियाएं सुचारू रूप से चलें।

झारखंड सरकार की मंईयां सम्मान योजना की कार्यान्वयन प्रक्रिया में गिरिडीह जिले में सामने आए फर्जीवाड़े और गलत जानकारी की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि योजना का लाभ लेने के लिए पात्रता और सत्यापन प्रक्रिया का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। सरकार ने इस प्रकार के फर्जीवाड़े पर कड़ी नज़र रखते हुए कार्रवाई शुरू कर दी है। इस तरह के मामलों की रोकथाम के लिए जागरूकता और पारदर्शिता का होना जरूरी है, ताकि योजना का वास्तविक उद्देश्य पूरा हो और इसका लाभ सही पात्रों तक पहुंचे।

मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना' के तहत महिलाओं को मिलने वाली राशि न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारेगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेगी। इससे होली और ईद जैसे त्योहारों के दौरान बाजार में उछाल आएगा और स्थानीय व्यापारियों को फायदा होगा। साथ ही, महिलाओं की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और उनके परिवारों का जीवन स्तर सुधरेगा। यह योजना राज्य के समग्र विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगी।

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