राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पीएमसीएच के शताब्दी वर्ष पर स्वास्थ्य सेवा में तकनीक के उपयोग पर दिया जोर

 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पीएमसीएच के शताब्दी वर्ष पर स्वास्थ्य सेवा में तकनीक के उपयोग पर दिया जोर

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (पीएमसीएच) के शताब्दी समारोह में मंगलवार को एक महत्वपूर्ण भाषण दिया, जिसमें उन्होंने चिकित्सा क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) और रोबोटिक्स जैसी आधुनिक तकनीकों के उपयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। यह समारोह पीएमसीएच के 100 वर्षों के योगदान को सम्मानित करने के लिए आयोजित किया गया था, और राष्ट्रपति ने इसे बिहार के चिकित्सा क्षेत्र में एक अहम मील का पत्थर बताया।

चिकित्सा क्षेत्र में तकनीकी सुधार

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, "आज का युग तकनीक का है, और यह समय है कि डॉक्टर मरीजों के इलाज में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) और रोबोटिक्स जैसी उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल करें।" उनका मानना है कि इन तकनीकों के उपयोग से न केवल इलाज की प्रक्रिया में सुधार होगा, बल्कि डॉक्टरों के ज्ञान और कार्यक्षमता में भी वृद्धि होगी। उन्होंने यह भी कहा कि इससे रोगियों का इलाज आसान होगा और इलाज की गुणवत्ता में सुधार आएगा।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) और इसका चिकित्सा क्षेत्र में योगदान

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) एक ऐसी तकनीक है, जिसमें मशीनें और कंप्यूटर सिस्टम इंसानों की तरह सोचने, सीखने और निर्णय लेने की क्षमता प्राप्त करते हैं। यह तकनीक कई क्षेत्रों में उपयोग हो रही है, और चिकित्सा क्षेत्र में इसके अद्वितीय लाभ हैं। यहां हम समझेंगे कि एआइ चिकित्सा क्षेत्र में किस प्रकार मदद कर सकती है:

1. रोगों की शीघ्र पहचान

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह बड़ी मात्रा में डेटा का विश्लेषण कर सकती है और रोगों की पहचान जल्दी और सटीक तरीके से कर सकती है। उदाहरण के लिए:

  • इमेजिंग तकनीक: एआइ मेडिकल इमेजिंग, जैसे एक्स-रे, सीटी स्कैन, और एमआरआई, का विश्लेषण कर सकती है। इससे डॉक्टरों को ट्यूमर, हड्डियों की फ्रैक्चर, संक्रमण, और अन्य समस्याओं की जल्दी पहचान करने में मदद मिलती है।
  • डीप लर्निंग: एआइ द्वारा प्रशिक्षित सिस्टम मरीजों की मेडिकल इमेजेज का विश्लेषण करते हैं और छोटी से छोटी बीमारी भी पहचानने में सक्षम होते हैं, जो मनुष्यों के लिए कठिन हो सकता है।

2. व्यक्तिगत इलाज (Personalized Treatment)

एआइ का उपयोग मरीज की व्यक्तिगत स्थिति के आधार पर इलाज की योजना बनाने में किया जा सकता है। एआइ सिस्टम मरीज के मेडिकल इतिहास, जीनोमिक डेटा, और अन्य कारकों का विश्लेषण कर एक ऐसा इलाज प्रस्तावित करते हैं जो हर व्यक्ति के लिए अनुकूलित होता है। इससे इलाज की गुणवत्ता में सुधार होता है और मरीज को जल्दी स्वस्थ होने में मदद मिलती है।

3. दवाओं की खोज और विकास

दवाओं के विकास में समय और खर्च बहुत ज्यादा होता है, लेकिन एआइ द्वारा यह प्रक्रिया तेज और सस्ती हो सकती है। एआइ का उपयोग दवाओं के प्रभाव को समझने, उनके संभावित साइड इफेक्ट्स की पहचान करने, और दवाओं के नए संयोजन तैयार करने में किया जा सकता है। इससे जल्दी और प्रभावी इलाज मिल सकता है।

4. डॉक्टरों की मदद

एआइ डॉक्टरों की मदद करने में भी उपयोगी है। उदाहरण के लिए:

  • डायग्नोसिस में मदद: एआइ डॉक्टरों को विभिन्न रोगों के लक्षणों और मेडिकल इतिहास के आधार पर सही डायग्नोसिस करने में मदद करती है।
  • स्मार्ट सहायक: एआइ आधारित स्मार्ट असिस्टेंट डॉक्टरों को मरीजों के इलाज के बारे में सुझाव देती है, जिससे उनकी कार्य क्षमता में वृद्धि होती है।

5. स्वास्थ्य डेटा का विश्लेषण

एआइ का उपयोग चिकित्सा डेटा के विश्लेषण के लिए किया जाता है। स्वास्थ्य से संबंधित डेटा का संग्रहण और विश्लेषण कर एआइ चिकित्सकों को अधिक प्रभावी तरीके से इलाज करने में मदद करता है। यह प्रणाली मरीज के स्वास्थ्य से जुड़े पैटर्न की पहचान करती है, जिससे समय से पहले बीमारियों का पता चल सकता है।

6. सर्जरी में सहायक तकनीक

एआइ रोबोटिक्स का उपयोग सर्जरी में किया जा सकता है। रोबोट्स सर्जन की मदद करते हैं, जिससे सर्जरी अधिक सटीक और कम खतरनाक होती है। एआइ के माध्यम से रोबोट सर्जन के हाथों की तरह काम करते हैं, और गलतियों की संभावना कम होती है। इससे मरीजों का रिकवरी टाइम भी कम हो सकता है।

7. वर्चुअल हेल्थ असिस्टेंट

एआइ आधारित वर्चुअल हेल्थ असिस्टेंट मरीजों के स्वास्थ्य को ट्रैक करने में मदद करते हैं। ये असिस्टेंट मरीजों को दवाइयों के बारे में याद दिलाते हैं, उनकी सेहत के बारे में सलाह देते हैं, और उन्हें नियमित जांच करवाने के लिए प्रेरित करते हैं।

8. आपातकालीन सेवाएं

आपातकालीन स्थितियों में एआइ के द्वारा तुरंत मदद मिल सकती है। एआइ आधारित सिस्टम मरीज के स्वास्थ्य के बारे में तुरंत जानकारी एकत्र कर सकता है और आपातकालीन सेवा को सूचित कर सकता है, जिससे जल्दी से जल्दी उपचार मिल सके।

रोबोटिक्स तकनीक और इसका चिकित्सा क्षेत्र में योगदान

रोबोटिक्स तकनीक का उपयोग चिकित्सा क्षेत्र में लगातार बढ़ रहा है, और यह कई प्रकार से मरीजों के इलाज और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में मदद कर रहा है। रोबोट्स अब सर्जरी, निदान, और इलाज में डॉक्टरों के सहायक के रूप में काम कर रहे हैं, जिससे उपचार की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। आइए जानते हैं कि रोबोटिक्स तकनीक चिकित्सा क्षेत्र में कैसे मदद करती है:

1. सर्जरी में सुधार (Robotic Surgery)

रोबोटिक्स तकनीक सर्जरी के क्षेत्र में सबसे प्रभावी तरीके से इस्तेमाल हो रही है। रोबोटिक सर्जरी में, रोबोट्स सर्जन के निर्देशों के आधार पर सर्जरी करते हैं, जिससे सर्जरी अधिक सटीक और कम जटिल होती है। यह तकनीक शल्यचिकित्सकों को अधिक नियंत्रण और सटीकता प्रदान करती है, जिससे:

  • सर्जिकल त्रुटियां कम होती हैं।
  • सर्जरी के दौरान रक्तस्राव (bleeding) कम होता है।
  • सर्जरी का समय कम होता है।
  • प्रतिक्रिया समय (recovery time) जल्दी होता है।

उदाहरण के लिए, da Vinci Surgical System एक प्रकार का रोबोट है जो डॉक्टरों को सर्जरी में सहायता करता है, खासकर न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी में। यह उपकरण डॉक्टर को ज्यादा सटीकता से ऑपरेशन करने की सुविधा देता है।

2. दूरस्थ सर्जरी (Remote Surgery)

रोबोटिक्स तकनीक के जरिए अब दूरस्थ सर्जरी भी संभव हो गई है। इसका मतलब है कि एक सर्जन किसी अन्य स्थान से मरीज की सर्जरी कर सकता है, बशर्ते दोनों के बीच इंटरनेट कनेक्शन हो। यह तकनीक विशेष रूप से उन जगहों के लिए उपयोगी है जहां विशेषज्ञ सर्जन उपलब्ध नहीं होते हैं। सर्जन के पास रोबोटिक उपकरण होता है, और वह उसे नियंत्रित करके सर्जरी कर सकता है।

3. न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी (Minimally Invasive Surgery)

रोबोटिक्स तकनीक न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी को और भी सटीक बनाती है। इसमें छोटे चीरे से सर्जरी की जाती है, जिससे मरीज को कम दर्द होता है और ठीक होने में कम समय लगता है। रोबोटिक्स के माध्यम से सर्जन अपनी उंगलियों की तरह अत्यधिक सटीकता से चीरे बना सकता है, जिससे बहुत कम खून बहता है और रिकवरी जल्दी होती है।

4. इंटेलिजेंट डायग्नोस्टिक टूल्स

रोबोटिक्स तकनीक डायग्नोसिस के क्षेत्र में भी मदद कर रही है। कुछ रोबोटिक्स सिस्टम्स मरीजों की जाँच करते हैं और उनके स्वास्थ्य की स्थिति का विश्लेषण करते हैं। ये सिस्टम्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग का उपयोग करते हुए सटीक निदान करने में मदद करते हैं। इसके परिणामस्वरूप, डॉक्टरों को सटीक और तेज़ जानकारी मिलती है, जिससे जल्दी और प्रभावी इलाज हो पाता है।

5. रोबोटिक असिस्टेंट (Robotic Assistants)

चिकित्सा क्षेत्र में अब रोबोटिक असिस्टेंट्स का भी उपयोग बढ़ रहा है। ये रोबोट्स मरीजों की देखभाल, दवाइयां देने, और चिकित्सा रिकॉर्ड्स को अपडेट करने जैसे कार्यों में डॉक्टर और नर्सों की मदद करते हैं। इससे चिकित्सा कर्मचारियों का कार्यभार हल्का होता है और वे अधिक ध्यान केंद्रित कर पाते हैं।

6. मेडिकल सिमुलेशन और प्रशिक्षण (Medical Simulation and Training)

रोबोटिक्स तकनीक का उपयोग चिकित्सकों के प्रशिक्षण के लिए भी किया जा रहा है। रोबोटिक सिमुलेटर्स का उपयोग करके चिकित्सा छात्र और प्रशिक्षु सर्जरी और अन्य चिकित्सा प्रक्रियाओं का अभ्यास कर सकते हैं। यह सिमुलेशन वास्तविक सर्जरी जैसी स्थिति प्रदान करता है, जिससे छात्रों को बिना किसी जोखिम के कौशल विकसित करने का मौका मिलता है।

7. पार्किंसन्स और अन्य न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स के इलाज में मदद

कुछ रोबोटिक्स सिस्टम्स पार्किंसन्स जैसी न्यूरोलॉजिकल बीमारियों के इलाज में भी सहायक होते हैं। ये रोबोट्स मरीज के मूवमेंट्स को ट्रैक करते हैं और उनके शरीर की गतिविधियों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। ऐसे उपकरण मरीजों को दवाओं या सर्जरी के अतिरिक्त सहायता प्रदान करते हैं और उनकी जीवन गुणवत्ता को बेहतर बनाते हैं।

8. मरीजों के लिए संजीवनी (Robotic Therapy)

रोबोटिक तकनीक का उपयोग भौतिक चिकित्सा (physical therapy) में भी किया जाता है। विशेष रूप से, रोबोटिक थेरेपी उपकरण मरीजों के शरीर को सही तरीके से हिलाने और पुनः शारीरिक सक्रियता में मदद करते हैं, जैसे कि घायल या कमजोर अंगों की पुनर्स्थापना। यह तकनीक विशेष रूप से न्यूरोमस्कुलर बीमारियों वाले मरीजों के लिए उपयोगी होती है।

पीएमसीएच का विकास

साथ ही, राष्ट्रपति मुर्मू ने बिहार सरकार के प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने चिकित्सा के बुनियादी ढांचे के समग्र विकास के लिए कई योजनाएं बनाई हैं। उन्होंने पीएमसीएच को बिहार का धरोहर बताते हुए कहा कि यहां चिकित्सा सुविधाएं लगातार बेहतर हो रही हैं, लेकिन अभी भी अधिक समावेशी स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकता है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की घोषणाएं

शताब्दी समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी पीएमसीएच के विकास को लेकर कुछ अहम घोषणाएं कीं। उन्होंने बताया कि पीएमसीएच को 5400 बेड का विश्वस्तरीय अस्पताल बनाने का कार्य तेजी से चल रहा है। इसके पहले फेज का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है, और दूसरे तथा तीसरे फेज का निर्माण कार्य भी जारी है। साथ ही, राज्य में अन्य पुराने मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के विस्तार की योजना भी बन रही है। ये पहल राज्य के चिकित्सा क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ने वाली हैं।

चिकित्सकों का पलायन और स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों की आवश्यकता

राष्ट्रपति मुर्मू ने बिहार से चिकित्सकों के पलायन पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, "कुछ समय पहले तक बिहार के चिकित्सकों का देश-विदेश में नाम था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यहां से अच्छे चिकित्सकों का पलायन हुआ है।" उनका मानना है कि इसके कारण मरीजों को बेहतर इलाज के लिए राज्य से बाहर जाना पड़ता है, जिससे उनके परिजनों को अतिरिक्त परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

उन्होंने सुझाव दिया कि बिहार में भी चेन्नई, हैदराबाद, मुंबई और इंदौर जैसे शहरों के जैसे स्पेशियलिटी ट्रीटमेंट केंद्र विकसित किए जाने चाहिए, ताकि मरीजों को अच्छे इलाज के लिए अन्य राज्यों में न जाना पड़े। इसके अलावा, यह बिहार के लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा।

प्रधानमंत्री और राज्य सरकार की पहल

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शताब्दी समारोह के दौरान यह भी कहा कि राज्य सरकार ने चिकित्सा क्षेत्र में विकास के लिए कई कदम उठाए हैं। उन्होंने यह जानकारी भी दी कि राज्य में 14 नए मेडिकल कॉलेज अस्पताल भी बनाए जा रहे हैं, जिससे चिकित्सकों और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को दूर किया जा सके। इसके अलावा, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल जैसे संस्थानों के साथ मिलकर बिहार में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए नई तकनीकों पर भी काम किया जा रहा है।

निष्कर्ष

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दोनों ने इस आयोजन के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि बिहार के चिकित्सा क्षेत्र में सुधार की दिशा में लगातार काम हो रहा है। तकनीकी सुधार, जैसे एआइ और रोबोटिक्स का उपयोग, राज्य में चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। साथ ही, राज्य में चिकित्सकों के पलायन को रोकने और स्थानीय स्तर पर उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। इन प्रयासों से न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश में स्वास्थ्य सेवा का स्तर ऊंचा उठेगा।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) चिकित्सा क्षेत्र में एक क्रांति साबित हो सकता है। यह डॉक्टरों और स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक सटीक, तेज और प्रभावी बनाने में मदद कर सकता है। एआइ के उपयोग से न केवल इलाज में सुधार होगा, बल्कि मरीजों को भी बेहतर और व्यक्तिगत इलाज मिलेगा। इस तकनीक का उपयोग भविष्य में स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में और अधिक प्रगति और सुधार लाएगा।

रोबोटिक्स तकनीक ने चिकित्सा क्षेत्र में एक नई दिशा दी है। यह न केवल सर्जरी और उपचार को अधिक सटीक और सुरक्षित बनाती है, बल्कि डॉक्टरों और चिकित्सा पेशेवरों को अत्याधुनिक उपकरणों के माध्यम से अधिक प्रभावी काम करने में मदद करती है। रोबोटिक उपकरण मरीजों को बेहतर इलाज, जल्दी रिकवरी और उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल प्रदान करने में सक्षम हैं। भविष्य में, रोबोटिक्स तकनीक का उपयोग और बढ़ने की संभावना है, जिससे चिकित्सा सेवाओं में और भी सुधार हो सकता है।

 

 

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