तकनीक और शिक्षा: स्मार्टफोन प्रतिबंध के पक्ष और विपक्ष

 

तकनीक और शिक्षा: स्मार्टफोन प्रतिबंध के पक्ष और विपक्ष

आधुनिक युग में तकनीक ने हमारे जीवन के हर पहलू को प्रभावित किया है, और शिक्षा इसका अपवाद नहीं है। स्मार्टफोन जैसे डिजिटल उपकरणों ने शिक्षा के क्षेत्र में नई संभावनाएं खोली हैं, लेकिन साथ ही इनके अत्यधिक उपयोग ने चिंताएं भी पैदा की हैं। यूनेस्को की वैश्विक शिक्षा निगरानी (जीइएम) टीम की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में कम-से-कम 79 शिक्षा प्रणालियों ने स्कूलों में स्मार्टफोन पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह संख्या वैश्विक शिक्षा प्रणालियों का 40 प्रतिशत है। इस रिपोर्ट ने एक बार फिर तकनीक और शिक्षा के बीच संतुलन बनाने की बहस को गर्म कर दिया है।
 

 

प्रतिबंध के कारण

1.  छात्रों की एकाग्रता बनाए रखना
रिपोर्ट में कहा गया है कि स्मार्टफोन के उपयोग से छात्रों का ध्यान पढ़ाई से भटकता है। एक बार ध्यान भटकने के बाद छात्रों को पढ़ाई पर फिर से ध्यान केंद्रित करने में 20 मिनट तक का समय लग सकता है। यह समय की बर्बादी है और शैक्षणिक प्रदर्शन को प्रभावित करता है।
 
2. शैक्षणिक परिणामों में सुधार
बेल्जियम, स्पेन और ब्रिटेन जैसे देशों में स्मार्टफोन हटाने के बाद छात्रों के शैक्षणिक परिणामों में सुधार देखा गया है। खासकर, जो छात्र पहले अपने साथियों की तरह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे थे, उनके नतीजे बेहतर हुए हैं।
 
3. सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य
स्मार्टफोन के अत्यधिक उपयोग से छात्रों में साइबर बुलिंग, तनाव और अकेलेपन की समस्या बढ़ सकती है। प्रतिबंध लगाने से इन समस्याओं को कम किया जा सकता है।
 

स्मार्टफोन प्रतिबंध के पक्ष में तर्क

1. छात्रों का ध्यान बनाए रखना
स्मार्टफोन के अत्यधिक उपयोग से छात्रों का ध्यान पढ़ाई से भटकता है। एक अध्ययन के अनुसार, एक बार ध्यान भटकने के बाद छात्रों को पढ़ाई पर फिर से ध्यान केंद्रित करने में 20 मिनट तक का समय लग सकता है। स्मार्टफोन पर प्रतिबंध लगाने से छात्रों की एकाग्रता बढ़ सकती है और शैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार हो सकता है।
 
2. शैक्षणिक परिणामों में सुधार
बेल्जियम, स्पेन और ब्रिटेन जैसे देशों में स्मार्टफोन हटाने के बाद छात्रों के शैक्षणिक परिणामों में सुधार देखा गया है, खासकर उन छात्रों के लिए जो पहले अपने साथियों की तरह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे थे।
 
3. सामाजिक संपर्क को बढ़ावा
स्मार्टफोन के अभाव में छात्र आपस में अधिक बातचीत करते हैं और सामाजिक कौशल विकसित करते हैं। यह उनके सामाजिक और भावनात्मक विकास के लिए फायदेमंद है।
 
4. साइबर बुलिंग और अनुचित सामग्री से सुरक्षा
स्मार्टफोन के उपयोग से छात्र साइबर बुलिंग और अनुचित सामग्री के संपर्क में आ सकते हैं। प्रतिबंध लगाने से इन जोखिमों को कम किया जा सकता है।
 

स्मार्टफोन प्रतिबंध के विपक्ष में तर्क

1. तकनीक का शैक्षणिक उपयोग
स्मार्टफोन शैक्षणिक संसाधनों तक पहुंचने का एक महत्वपूर्ण माध्यम हो सकते हैं। ऑनलाइन पाठ्यक्रम, शैक्षणिक ऐप्स और डिजिटल लाइब्रेरी जैसे संसाधन छात्रों के लिए उपयोगी हो सकते हैं।
 
2. आपातकालीन स्थितियों में संपर्क
स्मार्टफोन छात्रों को आपातकालीन स्थितियों में अपने अभिभावकों या अधिकारियों से संपर्क करने में मदद कर सकते हैं। प्रतिबंध लगाने से यह सुविधा प्रभावित हो सकती है।
 
3. तकनीकी कौशल का विकास
आज के डिजिटल युग में तकनीकी कौशल का होना आवश्यक है। स्मार्टफोन के उपयोग से छात्र डिजिटल साक्षरता और तकनीकी ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।
 
4. व्यक्तिगत जिम्मेदारी सिखाना
स्मार्टफोन के उपयोग को नियंत्रित करना छात्रों को व्यक्तिगत जिम्मेदारी सिखाने का एक अवसर हो सकता है। प्रतिबंध लगाने के बजाय, उन्हें सही और गलत उपयोग के बीच अंतर सिखाया जा सकता है।
 

वैश्विक प्रतिबंधों की स्थिति

 1.चीन
चीन ने प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में स्मार्टफोन के उपयोग पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। अभिभावकों से लिखित सहमति मांगी गई है कि क्या फोन वास्तव में शैक्षणिक कारणों से जरूरी है।
 
2. फ्रांस
फ्रांस में निम्न माध्यमिक स्तर के स्कूलों में 'डिजिटल ब्रेक' का सुझाव दिया गया है, जिसमें छात्रों को डिजिटल उपकरणों से दूर रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
 
3. अमेरिका
अमेरिका के 50 राज्यों में से 20 ने स्कूलों में स्मार्टफोन पर प्रतिबंध संबंधी नियम लागू किए हैं। कैलिफोर्निया में 'फोन-मुक्त स्कूल अधिनियम' लागू किया गया है।
 
4. ऑस्ट्रेलिया और स्पेन
ऑस्ट्रेलिया और स्पेन ने भी स्कूलों में स्मार्टफोन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया है। स्पेन के 17 स्वायत्त समुदायों में से 14 ने कड़े प्रतिबंध लागू किए हैं।
 


यूनेस्को की रिपोर्ट: स्कूलों में स्मार्टफोन प्रतिबंध का विश्लेषण

यूनेस्को की वैश्विक शिक्षा निगरानी (जीइएम) टीम की हालिया रिपोर्ट ने दुनिया भर में स्कूलों में स्मार्टफोन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की बढ़ती प्रवृत्ति को उजागर किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की 79 शिक्षा प्रणालियों (वैश्विक शिक्षा प्रणालियों का 40 प्रतिशत) ने स्कूलों में स्मार्टफोन पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह प्रतिबंध शिक्षा के स्तर और देशों की आवश्यकताओं के अनुसार अलग-अलग हैं। आइए, इस रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं का विश्लेषण करें।

यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में स्मार्टफोन के उपयोग पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। अभिभावकों से लिखित सहमति मांगी गई है कि क्या फोन वास्तव में शैक्षणिक कारणों से जरूरी है। फ्रांस में निम्न माध्यमिक स्तर के स्कूलों में 'डिजिटल ब्रेक' का सुझाव दिया गया है, जिसमें छात्रों को डिजिटल उपकरणों से दूर रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। अमेरिका में 50 राज्यों में से 20 ने स्कूलों में स्मार्टफोन पर प्रतिबंध संबंधी नियम लागू किए हैं। ऑस्ट्रेलिया और स्पेन जैसे देशों ने भी इस दिशा में कदम उठाए हैं।

यूनेस्को की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि स्कूलों में स्मार्टफोन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के पीछे मुख्य उद्देश्य छात्रों की एकाग्रता और शैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार करना है। हालांकि, इसके साथ ही तकनीक के शैक्षणिक उपयोग और आपातकालीन स्थितियों में इसकी उपयोगिता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

शायद सही दृष्टिकोण यह होगा कि स्मार्टफोन के उपयोग को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने के बजाय, इसे नियंत्रित और संतुलित तरीके से उपयोग करने के लिए छात्रों को प्रोत्साहित किया जाए। इसके लिए स्कूलों और अभिभावकों को मिलकर एक स्पष्ट नीति बनानी होगी, जो तकनीक के फायदों को बरकरार रखते हुए उसके नुकसानों को कम कर सके।

इस प्रकार, तकनीक और शिक्षा के बीच संतुलन बनाना ही भविष्य की शिक्षा प्रणाली की सफलता की कुंजी होगी।

 

 

निष्कर्ष

तकनीक और शिक्षा के बीच संतुलन बनाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। स्मार्टफोन प्रतिबंध के पक्ष और विपक्ष दोनों ही मजबूत तर्क प्रस्तुत करते हैं। जहां एक ओर प्रतिबंध छात्रों की एकाग्रता और शैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार कर सकता है, वहीं दूसरी ओर यह तकनीकी कौशल और शैक्षणिक संसाधनों तक पहुंच को सीमित कर सकता है। शायद सही दृष्टिकोण यह होगा कि स्मार्टफोन के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए मध्यम मार्ग अपनाया जाए, जिसमें छात्रों को तकनीक का सही और संतुलित उपयोग सिखाया जाए। इस तरह, तकनीक और शिक्षा का सही मेल बनाया जा सकता है।

 

 
 
 

 

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