जल संरक्षण: आज की जरूरत, कल की सुरक्षा
प्रस्तावना
जल ही जीवन है। यह वाक्य हम बचपन से सुनते आ रहे हैं, लेकिन आज के समय में इसकी महत्ता और भी बढ़ गई है। जल के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है। यह न केवल मनुष्य के लिए बल्कि पृथ्वी पर मौजूद हर जीव-जंतु, पेड़-पौधे और पर्यावरण के लिए अत्यंत आवश्यक है। हालांकि, बढ़ती जनसंख्या, औद्योगीकरण, शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन के कारण जल संकट दिन-प्रतिदिन गहराता जा रहा है। ऐसे में जल संरक्षण की आवश्यकता और भी बढ़ गई है। यह न केवल आज की जरूरत है बल्कि भविष्य की सुरक्षा के लिए भी अनिवार्य है।
जल संरक्षण क्या है?
जल संरक्षण का अर्थ है जल के सही उपयोग, प्रबंधन और संरक्षण के माध्यम से इसकी बर्बादी को रोकना। इसमें जल के स्रोतों को सुरक्षित रखना, जल की गुणवत्ता को बनाए रखना और इसके अनावश्यक उपयोग को कम करना शामिल है। जल संरक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी जल की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध हो।
जल संकट की वर्तमान स्थिति
आज दुनिया भर में जल संकट एक गंभीर समस्या बन चुका है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, विश्व की लगभग 2.2 अरब आबादी को स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध नहीं है। भारत में भी जल संकट की स्थिति चिंताजनक है। देश के कई हिस्सों में पानी की कमी के कारण लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में पानी की किल्लत एक आम समस्या बन गई है।
जल संकट के कारण कृषि, उद्योग और घरेलू उपयोग में पानी की कमी हो रही है। इसके अलावा, भूजल स्तर में गिरावट, नदियों का सूखना और जल प्रदूषण जैसी समस्याएं भी बढ़ रही हैं। ऐसे में जल संरक्षण की आवश्यकता और भी अधिक हो गई है।
जल संरक्षण की आवश्यकता क्यों है?
1. जल की सीमित उपलब्धता
पृथ्वी पर जल की मात्रा सीमित है। पृथ्वी का लगभग 71% हिस्सा पानी से ढका हुआ है, लेकिन इसमें से केवल 2.5% पानी ही मीठा और पीने योग्य है। इसके अलावा, इस मीठे पानी का एक बड़ा हिस्सा ग्लेशियरों और बर्फ के रूप में जमा हुआ है, जिसका उपयोग करना मुश्किल है। इस प्रकार, मनुष्य के उपयोग के लिए उपलब्ध पानी की मात्रा बहुत कम है। ऐसे में जल संरक्षण की आवश्यकता और भी बढ़ जाती है।
2. बढ़ती जनसंख्या
विश्व की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 2050 तक विश्व की जनसंख्या 9.7 अरब तक पहुंचने की उम्मीद है। बढ़ती जनसंख्या के साथ पानी की मांग भी बढ़ेगी। ऐसे में यदि जल संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया गया तो भविष्य में पानी की कमी एक गंभीर समस्या बन सकती है।
3. जलवायु परिवर्तन
जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम चक्र में बदलाव आ रहा है। इसके कारण कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा हो रही है तो कुछ क्षेत्र सूखे की चपेट में आ रहे हैं। इससे जल संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है। ऐसे में जल संरक्षण की आवश्यकता और भी अधिक हो गई है।
4. जल प्रदूषण
औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण जल प्रदूषण बढ़ रहा है। नदियों, तालाबों और भूजल में रसायनिक पदार्थों और अपशिष्ट पदार्थों के मिलने से जल की गुणवत्ता खराब हो रही है। इसके कारण पीने योग्य पानी की मात्रा कम हो रही है। जल संरक्षण के माध्यम से हम जल प्रदूषण को कम कर सकते हैं और जल की गुणवत्ता को बनाए रख सकते हैं।
5. कृषि और उद्योग की आवश्यकता
कृषि और उद्योग के लिए पानी की आवश्यकता बहुत अधिक होती है। भारत में लगभग 80% पानी का उपयोग कृषि में किया जाता है। ऐसे में यदि जल संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया गया तो कृषि और उद्योग दोनों प्रभावित होंगे। इसके कारण खाद्य सुरक्षा और आर्थिक विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
जल संरक्षण के तरीके
जल संरक्षण के लिए हमें व्यक्तिगत, सामाजिक और सरकारी स्तर पर प्रयास करने की आवश्यकता है। निम्नलिखित कुछ ऐसे तरीके हैं जिनके माध्यम से हम जल संरक्षण कर सकते हैं:
1. वर्षा जल संचयन
वर्षा जल संचयन जल संरक्षण का एक प्रभावी तरीका है। इसमें वर्षा के पानी को इकट्ठा करके उसे भविष्य के उपयोग के लिए स्टोर किया जाता है। इस पानी का उपयोग सिंचाई, घरेलू कामों और भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है। वर्षा जल संचयन के माध्यम से हम पानी की बर्बादी को रोक सकते हैं और जल संसाधनों को बचा सकते हैं।
2. जल की बर्बादी को रोकना
घरेलू स्तर पर हम कई छोटे-छोटे उपाय करके पानी की बर्बादी को रोक सकते हैं। उदाहरण के लिए, नहाते समय शावर के बजाय बाल्टी का उपयोग करना, ब्रश करते समय नल को बंद रखना, कपड़े धोने और बर्तन धोने के लिए पानी का सही उपयोग करना आदि। इन छोटे-छोटे उपायों से हम बड़ी मात्रा में पानी बचा सकते हैं।
3. जल का पुनः उपयोग
जल का पुनः उपयोग जल संरक्षण का एक महत्वपूर्ण तरीका है। इसमें उपयोग किए गए पानी को दोबारा उपयोग में लाया जाता है। उदाहरण के लिए, घरों में नहाने और कपड़े धोने के पानी का उपयोग पौधों की सिंचाई के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा, उद्योगों में भी पानी का पुनः उपयोग किया जा सकता है।
4. जल संरक्षण के लिए तकनीकी उपाय
आधुनिक तकनीक के माध्यम से भी जल संरक्षण किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, ड्रिप इरिगेशन और स्प्रिंकलर सिस्टम के माध्यम से कृषि में पानी की बचत की जा सकती है। इसके अलावा, वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और डिसैलिनेशन प्लांट जैसी तकनीकों के माध्यम से भी जल संरक्षण किया जा सकता है।
5. जागरूकता और शिक्षा
जल संरक्षण के लिए जागरूकता और शिक्षा बहुत आवश्यक है। लोगों को जल संरक्षण के महत्व और तरीकों के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है। स्कूलों, कॉलेजों और समुदायों में जल संरक्षण के बारे में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं। इसके अलावा, सरकार और गैर-सरकारी संगठनों को भी जल संरक्षण के लिए जागरूकता अभियान चलाने चाहिए।
6. सरकारी नीतियां और कानून
सरकार को जल संरक्षण के लिए प्रभावी नीतियां और कानून बनाने चाहिए। जल संसाधनों के प्रबंधन और संरक्षण के लिए सरकार को योजनाएं बनानी चाहिए। इसके अलावा, जल प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त कानून बनाए जाने चाहिए। सरकार को जल संरक्षण के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी और अन्य प्रोत्साहन भी प्रदान करने चाहिए।
सरकार और नीति निर्माताओं की भूमिका
जल संरक्षण के लिए सरकार और नीति निर्माताओं की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। सरकार को जल संरक्षण के लिए प्रभावी नीतियां बनानी चाहिए और उन्हें सख्ती से लागू करना चाहिए। कुछ महत्वपूर्ण कदम निम्नलिखित हैं:
1. जल संरक्षण कानून: जल के दुरुपयोग और प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त कानून बनाए जाने चाहिए। जल संरक्षण के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए।
2. जल प्रबंधन योजनाएं: सरकार को जल प्रबंधन के लिए दीर्घकालिक योजनाएं बनानी चाहिए। इन योजनाओं में वर्षा जल संचयन, नदी जोड़ो परियोजना और जल शोधन संयंत्रों का निर्माण शामिल हो सकता है।
3. जल संरक्षण प्रौद्योगिकी: सरकार को जल संरक्षण के लिए नई तकनीकों को बढ़ावा देना चाहिए। इसके लिए अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
4. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: जल संकट एक वैश्विक समस्या है, और इससे निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है। देशों को आपस में जल प्रबंधन और संरक्षण के लिए ज्ञान और संसाधन साझा करने चाहिए।
पेयजल विभाग की अनुदान मांग मंजूर
बजट सत्र में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के लिए ₹4710.25 करोड़ की अनुदान मांग को मंजूरी मिली। मंत्री योगेंद्र महतो ने जोर देकर कहा कि अब राज्य के सभी चापानलों (पानी के चैनल) की मरम्मत की जिम्मेदारी इसी विभाग की होगी, भले ही उन्हें किसी अन्य विभाग ने बनाया हो। इस कदम का उद्देश्य जिम्मेदारियों को स्पष्ट करना और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। पहले ऐसा होता था कि वन विभाग या ग्रामीण विकास विभाग जैसे विभागों को इन चैनलों की जिम्मेदारी दी जाती थी, जिससे भ्रम की स्थिति बनी रहती थी।
जलापूर्ति योजनाओं का हस्तांतरण
मंत्री महतो ने यह भी बताया कि सरकार ने 19 जलापूर्ति योजनाओं को नगर विकास विभाग से पेयजल एवं स्वच्छता विभाग को हस्तांतरित करने का निर्णय लिया है। इस कदम से राज्य में जल प्रबंधन की कार्यक्षमता और समन्वय में सुधार की उम्मीद है।
भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था पर सरकार का रुख
मंत्री ने सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और कानून व्यवस्था बनाए रखने की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि गड़बड़ी करने वाले किसी को भी नहीं बख्शा जाएगा। हाल के दिनों में पुलिस की कार्रवाई, जैसे भगोड़े अपराधियों की तलाश, को इसका प्रमाण बताया गया।
विपक्ष की आलोचना और चिंताएं
सीपी सिंह ने पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल
भाजपा नेता सीपी सिंह ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए, खासकर हिंदपीढ़ी जैसे संवेदनशील इलाकों में। उन्होंने एक नाबालिग के साथ हुए बलात्कार जैसे मामलों में कार्रवाई न होने की आलोचना की, भले ही पुलिस सख्ती का दावा करती हो। सिंह ने धन आवंटन और सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाते हुए कटौती प्रस्ताव भी पेश किया।
अधूरे पेयजल परियोजनाएं
हेमलाल मुर्मू ने लिट्टीपाड़ा में ₹217 करोड़ की पेयजल परियोजना का जिक्र किया, जो पिछली सरकार द्वारा शुरू की गई थी। 70% धनराशि खर्च होने के बावजूद यह परियोजना अभी तक पूरी नहीं हुई है, जिससे आदिवासी समुदाय को पानी नहीं मिल पा रहा है। मुर्मू ने सरकार से इस मुद्दे पर तुरंत ध्यान देने का आग्रह किया।
सरयू राय ने दीर्घकालिक जल समाधान पर जोर
सरयू राय ने सरकार से वैकल्पिक जल स्रोतों और दीर्घकालिक योजनाओं पर ध्यान देने की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि योजनाएं तो बनती हैं, लेकिन उनका लाभ जनता तक नहीं पहुंच पाता।
सरकार की प्रमुख पहल और लक्ष्य
- चापानलों की मरम्मत: सरकार ने डिविजनल आधार पर चापानलों की मरम्मत शुरू करने की योजना बनाई है।
- हर घर नल-जल योजना: 2027-28 तक हर घर में नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित है।
विधानसभा परिसर से: पेयजल को लेकर सरकार और विपक्ष के बयान
सरकार की गंभीरता पर शिक्षा मंत्री का बयान
शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने विधानसभा परिसर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि सरकार पेयजल के मुद्दे पर गंभीर है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक पंचायत में 10-10 चापाकल लगाने का काम किया गया है, ताकि आम जनता को इस गर्मी में पानी की किल्लत न हो। सोरेन ने यह भी कहा कि नहरों और बांधों में पर्याप्त पानी है और पेयजल सुविधा के लिए टंकियों तक पानी पहुंचाया जा रहा है।
जब पत्रकारों ने सत्ता पक्ष के विधायकों द्वारा चापाकलों की खराब स्थिति की शिकायत के बारे में पूछा, तो सोरेन ने कहा कि यह आम बात है और विभाग इसे दुरुस्त करने के लिए तत्पर है।
विपक्ष की आलोचना: सरयू राय ने उठाए सवाल
विधायक सरयू राय ने सरकार के दावों को चुनौती देते हुए कहा कि राज्य में पेयजल की स्थिति खराब है। उन्होंने कहा कि लोगों को घर-घर स्वच्छ पानी नहीं मिल रहा है और ऐसा लगता है कि पेयजल आपूर्ति विभाग के अधिकारियों में संवेदनशीलता की कमी है। राय ने चेतावनी दी कि गर्मी आने वाली है और लोगों को पानी की किल्लत न हो, इसके लिए पहले से तैयारी करने की जरूरत है।
विश्लेषण
1. सरकार का दावा बनाम जमीनी हकीकत:
शिक्षा मंत्री रामदास
सोरेन के दावे के अनुसार, सरकार ने पेयजल सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए
कई कदम उठाए हैं, जैसे चापाकल लगाना और टंकियों तक पानी पहुंचाना। हालांकि,
सत्ता पक्ष के विधायकों द्वारा चापाकलों की खराब स्थिति की शिकायत और सरयू
राय द्वारा उठाए गए सवाल यह दर्शाते हैं कि जमीनी स्तर पर स्थिति अभी भी
चुनौतीपूर्ण है।
2. गर्मी के मौसम की चुनौती:
गर्मी के मौसम में पानी की
मांग बढ़ जाती है, और इसके लिए पहले से तैयारी करना जरूरी है। सरयू राय ने
इस मुद्दे पर सरकार की तैयारियों पर सवाल उठाया है, जो एक वाजिब चिंता है।
3. विभागीय संवेदनशीलता:
सरयू राय ने पेयजल विभाग के
अधिकारियों में संवेदनशीलता की कमी की ओर इशारा किया है। यह सुझाव देता है
कि सरकार को न केवल बुनियादी ढांचे में सुधार करने की जरूरत है, बल्कि
अधिकारियों को जनता की समस्याओं के प्रति अधिक जवाबदेह भी बनाना होगा।
4. राजनीतिक बहस का संदर्भ:
यह बहस सरकार और विपक्ष के
बीच एक बड़े राजनीतिक संघर्ष का हिस्सा है, जहां सरकार अपनी उपलब्धियों को
रेखांकित कर रही है, जबकि विपक्ष जमीनी हकीकत और जनता की समस्याओं को उजागर
कर रहा है।
पेयजल की समस्या राज्य की एक प्रमुख चुनौती है, और सरकार ने इसे दूर करने के लिए कई कदम उठाए हैं। हालांकि, विपक्ष और सत्ता पक्ष के विधायकों द्वारा उठाए गए सवाल यह दर्शाते हैं कि अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। गर्मी के मौसम में पानी की मांग को देखते हुए सरकार को और अधिक प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है, ताकि जनता को पानी की किल्लत का सामना न करना पड़े।
जल संरक्षण के लाभ
जल संरक्षण के कई लाभ हैं। यह न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि समाज और अर्थव्यवस्था के लिए भी फायदेमंद है। निम्नलिखित कुछ ऐसे लाभ हैं जो जल संरक्षण से प्राप्त हो सकते हैं:
1. पर्यावरणीय लाभ
जल संरक्षण से पर्यावरण को कई लाभ होते हैं। इससे नदियों, तालाबों और भूजल स्तर को बनाए रखने में मदद मिलती है। इसके अलावा, जल संरक्षण से जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम किया जा सकता है। जल संरक्षण के माध्यम से हम पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रख सकते हैं।
2. सामाजिक लाभ
जल संरक्षण से समाज को भी कई लाभ होते हैं। इससे लोगों को स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध होता है। इसके अलावा, जल संरक्षण से कृषि और उद्योग को भी लाभ होता है। इससे खाद्य सुरक्षा और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है।
3. आर्थिक लाभ
जल संरक्षण से आर्थिक लाभ भी होते हैं। इससे पानी की बचत होती है जिससे लोगों और उद्योगों को पानी की लागत कम होती है। इसके अलावा, जल संरक्षण से कृषि उत्पादकता में वृद्धि होती है जिससे किसानों की आय में वृद्धि होती है।
प्रत्येक वर्ष 22 मार्च को पूरे विश्व में विश्व जल दिवस (World Water Day) मनाया जाता है। यह दिवस जल के महत्व को समझने, उसके संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने और जल संसाधनों के सतत उपयोग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र (United Nations) द्वारा 1993 में पहली बार इस दिवस की शुरुआत की गई थी, और तब से यह दुनिया भर में मनाया जा रहा है।
विश्व जल दिवस का महत्व
जल हमारे जीवन का आधार है। बिना जल के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। यह न केवल हमारे शरीर के लिए आवश्यक है, बल्कि कृषि, उद्योग, स्वच्छता और पर्यावरण के लिए भी इसका महत्वपूर्ण योगदान है। लेकिन आज दुनिया भर में जल संकट एक गंभीर समस्या बन गया है। बढ़ती जनसंख्या, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और जल के अत्यधिक दोहन के कारण स्वच्छ और सुरक्षित जल की उपलब्धता दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है।
विश्व जल दिवस का उद्देश्य लोगों को जल के महत्व के प्रति जागरूक करना और उन्हें जल संरक्षण के लिए प्रेरित करना है। यह दिवस हमें यह याद दिलाता है कि जल एक सीमित संसाधन है और इसका सही तरीके से उपयोग करना हमारी जिम्मेदारी है।
विश्व जल दिवस की थीम (Themes of World Water Day)
विश्व जल दिवस हर साल एक विशेष थीम के साथ मनाया जाता है, जो जल से जुड़ी वैश्विक चुनौतियों और समाधानों पर केंद्रित होता है। यह थीम जल संरक्षण, प्रबंधन और सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करती है। पिछले कुछ वर्षों में विश्व जल दिवस की थीम ने जल से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया है। आइए, कुछ महत्वपूर्ण थीम्स पर नजर डालें:
2025 : "ग्लेशियर संरक्षण" (Glacier Conservation)
झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद (JSPCB) ने विश्व जल दिवस 2025 के अवसर पर एक महत्वपूर्ण पहल की है, जिसमें "ग्लेशियर संरक्षण" को थीम के रूप में चुना गया है। यह थीम न केवल वैश्विक स्तर पर जल संकट की गंभीरता को उजागर करती है, बल्कि झारखंड जैसे राज्य में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने का भी प्रयास करती है। इस आयोजन का उद्देश्य जल संसाधनों के संरक्षण और सतत उपयोग को बढ़ावा देना है, ताकि भविष्य में जल संकट से निपटा जा सके।
ग्लेशियर पृथ्वी पर मीठे पानी के सबसे बड़े स्रोतों में से एक हैं। ये नदियों, झीलों और भूजल को पोषित करते हैं, जो मानव जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। इससे न केवल जल स्रोतों की उपलब्धता प्रभावित हो रही है, बल्कि सूखा, बाढ़ और जल संकट जैसी समस्याएं भी बढ़ रही हैं।
झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद (JSPCB) ने इस थीम के माध्यम से ग्लेशियरों के महत्व को रेखांकित किया है और लोगों को जल संरक्षण के लिए प्रेरित किया है। यह थीम इस बात पर जोर देती है कि ग्लेशियरों का संरक्षण केवल पर्यावरणीय मुद्दा नहीं है, बल्कि यह मानव जीवन और आर्थिक विकास से सीधे जुड़ा हुआ है।
जल संरक्षण: एक वैश्विक आवश्यकता
JSPCB ने अपने संदेश में स्पष्ट किया है कि "जल बचाएं, भविष्य सुरक्षित करें!"। यह संदेश इस बात को रेखांकित करता है कि जल संरक्षण केवल वर्तमान के लिए नहीं, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी आवश्यक है। ग्लेशियरों के पिघलने से नदियों, झीलों और भूजल स्तर पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है, जिससे जल संकट की स्थिति और भी गंभीर होती जा रही है।
JSPCB ने इस अवसर पर लोगों से आह्वान किया है कि वे "हर बूंद कीमती है - अभी कार्रवाई करें!" के संदेश को अपनाएं और जल संरक्षण के लिए तत्पर हों। यह संदेश इस बात को दर्शाता है कि जल संरक्षण के लिए छोटे-छोटे कदम भी बड़े बदलाव ला सकते हैं।
झारखंड में जल संरक्षण की चुनौतियाँ
झारखंड एक ऐसा राज्य है जहाँ जल संसाधनों का असमान वितरण और प्रदूषण एक बड़ी समस्या है। राज्य में नदियों, झीलों और भूजल स्तर में गिरावट देखी जा रही है। इसके अलावा, खनन और औद्योगिक गतिविधियों के कारण जल प्रदूषण भी एक गंभीर मुद्दा है। JSPCB ने इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए जल संरक्षण अभियान को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है।
जल संरक्षण अभियान: एक सामूहिक प्रयास
JSPCB ने लोगों से आग्रह किया है कि वे "जल संरक्षण अभियान से जुड़ें!" और "जल बचाएँ, जीवन बचाएँ - सतत् झारखंड के लिए एक संकल्प!" को अपनाएं। यह संदेश इस बात को दर्शाता है कि जल संरक्षण केवल सरकार या संगठनों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह हर नागरिक की जिम्मेदारी है। समुदाय के स्तर पर जल संरक्षण के प्रयासों को बढ़ावा देकर ही हम जल संकट से निपट सकते हैं।
विश्व जल दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन
इस कार्यक्रम का आयोजन युगांतर भारती, नेचर फाउंडेशन, जल जागरूकता अभियान
और दामोदर बचाओ आंदोलन के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था। यह कार्यक्रम
आशालता केंद्र, सेक्टर पांच में आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि
जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक और दामोदर बचाओ आंदोलन के अध्यक्ष सरयू राय थे।
चर्चा के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:
1. नदियों का अविरल बहाव जरूरी: सरयू राय ने जल की शुद्धता, निर्मलता और अविरलता बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि छोटे जलस्रोतों, जो पठार और पर्वतों से निकलते हैं, के प्रवाह को बनाए रखना जरूरी है ताकि बड़ी नदियों में साल भर पानी बहता रहे। इससे भूगर्भ जल स्तर बना रहेगा और पर्यावरण संतुलन बना रहेगा।
2. ग्लेशियर का संरक्षण: राय ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने इस वर्ष ग्लेशियर संरक्षण को थीम बनाया है। हालांकि झारखंड में ग्लेशियर नहीं हैं, लेकिन पृथ्वी पर उपलब्ध कुल जल का केवल तीन प्रतिशत ही पीने योग्य है। इसमें से एक प्रतिशत छोटे जलस्रोतों, कुओं और भूगर्भ जल से आता है, जबकि दो प्रतिशत ग्लेशियर के बर्फ के रूप में मौजूद है। इसलिए, राज्य स्तर पर हमें उस एक प्रतिशत पानी की चिंता करनी चाहिए।
3. ग्लेशियर का महत्व: युगांतर भारती के अध्यक्ष अंशुल शरण ने कहा कि विश्व के 70% ताजे पानी का स्रोत ग्लेशियर हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सभी ग्लेशियर पिघल गए, तो समुद्र का जलस्तर 60 मीटर बढ़ जाएगा, जिससे भीषण बाढ़, सूखा और कृषि क्षेत्र का विनाश हो सकता है।
4. छोटी नदियों को बचाने की जरूरत: आईआईटी आईएसएम धनबाद के पर्यावरण विभाग के प्रमुख प्रो. अंशुमाली ने कहा कि दामोदर नदी और उसकी सहायक नदियों को बचाने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि किसी भी जिले के लिए न्यूनतम 8 से 10% जल क्षेत्र होना चाहिए, लेकिन अज्ञानता के कारण यह केवल 1-2% तक सिमट गया है, जो चिंता का विषय है।
5. प्रदूषण रोकने के प्रयास: बोकारो स्टील प्लांट (बीएसएल) के प्रतिनिधि आर.आर. सिन्हा ने कहा कि प्लांट से प्रदूषण रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दिसंबर 2027 तक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बन जाएगा, जिससे दामोदर नदी को औद्योगिक प्रदूषण से 100% मुक्त घोषित किया जा सकेगा।
6. नदी बचाओ - जल बचाओ कार्यक्रम: बोकारो में विश्व जल दिवस पर स्वास्थ्य एवं पर्यावरण संरक्षण संस्थान ने चास गरगा नदी तट पर "नदी बचाओ - जल बचाओ" कार्यक्रम आयोजित किया। इसमें बोकारो जिला प्रशासन, चास नगर निगम, बीएसएल प्रबंधन और झारखंड सरकार से गरगा नदी को बचाने की अपील की गई।
2024 : "जल शांति के लिए" (Water for Peace)
यह थीम जल के महत्व को उजागर करती है और इस बात पर जोर देती है कि जल संसाधनों का सही प्रबंधन और समान वितरण विश्व शांति और स्थिरता के लिए कितना आवश्यक है। दुनिया भर में जल संसाधनों को लेकर तनाव और संघर्ष बढ़ रहे हैं, और यह थीम इस बात पर प्रकाश डालती है कि जल को लेकर सहयोग और साझेदारी कैसे शांति और विकास को बढ़ावा दे सकती है।
थीम का महत्व
जल मानव जीवन, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए एक मूलभूत संसाधन है। लेकिन जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या वृद्धि और प्रदूषण के कारण जल संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है। कई देशों और समुदायों के बीच जल को लेकर विवाद और संघर्ष हो रहे हैं। इस थीम के माध्यम से यह संदेश दिया जा रहा है कि जल को संघर्ष का कारण नहीं, बल्कि शांति और सहयोग का माध्यम बनाया जाना चाहिए।
जल शांति के लिए कदम :
1. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: नदियों और जलाशयों को साझा करने वाले देशों के बीच सहयोग बढ़ाना।
2. जल प्रबंधन: जल संसाधनों का समान और न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करना।
3. जागरूकता: जल संरक्षण और प्रबंधन के महत्व के बारे में लोगों को शिक्षित करना।
4. टिकाऊ प्रथाएं: जल संरक्षण और पुनर्चक्रण (Recycling) को बढ़ावा देना।
2023: "Accelerating Change" (परिवर्तन को गति देना)
2023 की थीम जल संकट से निपटने के लिए तेजी से कार्यवाही करने पर केंद्रित है। यह थीम हमें यह याद दिलाती है कि जल संरक्षण और प्रबंधन में देरी करने का कोई विकल्प नहीं है। इसका उद्देश्य सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने के लिए जल प्रबंधन में सुधार करना है।
2022: "Groundwater: Making the Invisible Visible" (भूजल: अदृश्य को दृश्यमान बनाना)
2022 की थीम भूजल के महत्व पर केंद्रित थी। भूजल पृथ्वी पर मीठे पानी का सबसे बड़ा स्रोत है, लेकिन यह अक्सर हमारी नजरों से दूर रहता है। इस थीम का उद्देश्य भूजल के संरक्षण और सतत उपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ाना था।
2021: "Valuing Water" (जल का मूल्य)
2021 की थीम जल के मूल्य को समझने पर केंद्रित थी। यह थीम हमें यह याद दिलाती है कि जल का मूल्य केवल आर्थिक नहीं है, बल्कि यह सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय महत्व भी रखता है। इसका उद्देश्य जल के प्रति लोगों की सोच को बदलना और इसके संरक्षण के लिए प्रेरित करना था।
2020: "Water and Climate Change" (जल और जलवायु परिवर्तन)
2020 की थीम जल और जलवायु परिवर्तन के बीच संबंध पर केंद्रित थी। जलवायु परिवर्तन के कारण जल संकट और गंभीर हो रहा है, और इस थीम का उद्देश्य लोगों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए तैयार करना था।
2019: "Leaving No One Behind" (किसी को पीछे न छोड़ें)
2019 की थीम सतत विकास लक्ष्य 6 (SDG 6) पर केंद्रित थी, जिसका उद्देश्य सभी के लिए स्वच्छ जल और स्वच्छता सुविधाएं उपलब्ध कराना है। यह थीम समाज के सभी वर्गों, विशेषकर वंचित समुदायों, को जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर केंद्रित थी।
2018: "Nature for Water" (जल के लिए प्रकृति)
2018 की थीम प्रकृति-आधारित समाधानों पर केंद्रित थी। यह थीम हमें यह याद दिलाती है कि प्रकृति जल संरक्षण और प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इसका उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके जल संकट से निपटना था।
2017: "Wastewater" (अपशिष्ट जल)
2017 की थीम अपशिष्ट जल के प्रबंधन और पुनर्चक्रण पर केंद्रित थी। यह थीम हमें यह याद दिलाती है कि अपशिष्ट जल को संसाधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है और इससे जल संकट को कम किया जा सकता है।
2016: "Water and Jobs" (जल और रोजगार)
2016 की थीम जल और रोजगार के बीच संबंध पर केंद्रित थी। यह थीम हमें यह याद दिलाती है कि जल न केवल जीवन के लिए आवश्यक है, बल्कि यह आर्थिक विकास और रोजगार के लिए भी महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
जल संरक्षण आज की जरूरत है और कल की सुरक्षा है। यह न केवल हमारे वर्तमान के लिए बल्कि भविष्य के लिए भी अनिवार्य है। जल संरक्षण के माध्यम से हम पानी की बर्बादी को रोक सकते हैं, जल संसाधनों को बचा सकते हैं और पर्यावरण को संरक्षित कर सकते हैं। इसके लिए हमें व्यक्तिगत, सामाजिक और सरकारी स्तर पर प्रयास करने की आवश्यकता है। यदि हम सभी मिलकर जल संरक्षण के लिए प्रयास करें तो हम भविष्य में पानी की कमी से होने वाले संकट को टाल सकते हैं और एक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।
जल संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है। आइए, हम सभी मिलकर जल संरक्षण के लिए प्रयास करें और इस अनमोल संसाधन को बचाएं। क्योंकि जल ही जीवन है, और जल के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है।
विश्व जल दिवस की थीम हर साल जल से जुड़े नए पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करती
है और हमें जल संरक्षण और प्रबंधन के लिए प्रेरित करती है। यह थीम हमें यह
याद दिलाती है कि जल हमारे जीवन का अमूल्य संसाधन है और इसका संरक्षण हम
सभी की जिम्मेदारी है। आइए, हम सभी मिलकर जल के महत्व को समझें और इसके
संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हों।