G-20 शिखर सम्मेलन: सबसे महत्वपूर्ण फैसले और प्रभाव
प्रस्तावना
G-20 (ग्रुप ऑफ ट्वेंटी) विश्व के 19 प्रमुख देशों और यूरोपीय संघ का एक प्रमुख मंच है, जो वैश्विक आर्थिक स्थिरता और सतत विकास पर केंद्रित है। 1999 में स्थापित इस समूह ने 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद विशेष रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। G-20 शिखर सम्मेलन वैश्विक आर्थिक सहयोग, व्यापार, जलवायु परिवर्तन, तकनीकी प्रगति और अन्य महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर चर्चा और निर्णय लेने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच रहा है। इस लेख में हम G-20 के प्रमुख सम्मेलनों और उनके प्रभावों का विश्लेषण करेंगे।
G-20 की उत्पत्ति और उद्देश्य
G-20 की स्थापना क्यों हुई?
1997-98 के एशियाई वित्तीय संकट के बाद, यह महसूस किया गया कि वैश्विक आर्थिक स्थिरता के लिए एक व्यापक मंच की आवश्यकता है जिसमें विकसित और विकासशील दोनों देश शामिल हों। इस उद्देश्य से, 1999 में G-20 की स्थापना हुई।
प्रमुख उद्देश्य:
1. वैश्विक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करना
2. मुद्रा और वित्तीय नीतियों में सहयोग बढ़ाना
3. वैश्विक व्यापार और निवेश को सुगम बनाना
4. जलवायु परिवर्तन और सतत विकास को बढ़ावा देना
5. डिजिटल अर्थव्यवस्था और तकनीकी सहयोग को सुदृढ़ करना
G-20 शिखर सम्मेलन: प्रमुख फैसले और प्रभाव
1. वाशिंगटन शिखर सम्मेलन (2008) - वैश्विक वित्तीय संकट से निपटने की रणनीति
महत्वपूर्ण फैसले:
- वैश्विक वित्तीय प्रणाली को मजबूत करने के लिए सुधारों की घोषणा।
- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक को सशक्त बनाने की रणनीति।
- बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए सख्त नियम लागू करने की सहमति।
प्रभाव:
- वैश्विक आर्थिक मंदी को नियंत्रित करने में मदद मिली।
- आर्थिक नीतियों में पारदर्शिता बढ़ी।
- IMF की भूमिका बढ़ी और आर्थिक निगरानी मजबूत हुई।
2. पिट्सबर्ग शिखर सम्मेलन (2009) - G-20 को प्रमुख आर्थिक मंच घोषित करना
महत्वपूर्ण फैसले:
- G-20 को वैश्विक आर्थिक सहयोग के लिए प्रमुख मंच घोषित किया गया।
- वित्तीय क्षेत्र में सुधार और सख्त नियम लागू करने की सहमति।
- विकासशील देशों की भागीदारी बढ़ाने की प्रतिबद्धता।
प्रभाव:
- वैश्विक वित्तीय संस्थानों में विकासशील देशों की भागीदारी बढ़ी।
- बड़े बैंकिंग सुधार लागू किए गए।
3. कैनकन और सियोल शिखर सम्मेलन (2010) - विकास और व्यापार पर ध्यान
महत्वपूर्ण फैसले:
- विकासशील देशों को वित्तीय सहयोग देने की प्रतिबद्धता।
- वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने के लिए नई नीतियों की घोषणा।
- जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए हरित निवेश को प्रोत्साहित करना।
प्रभाव:
- विकासशील देशों को अधिक वित्तीय सहायता मिली।
- हरित ऊर्जा और सतत विकास पर निवेश बढ़ा।
- व्यापार सहयोग के नए अवसर खुले।
4. हैम्बर्ग शिखर सम्मेलन (2017) - डिजिटल अर्थव्यवस्था और जलवायु परिवर्तन
महत्वपूर्ण फैसले:
- जलवायु परिवर्तन के खिलाफ पेरिस समझौते को लागू करने की प्रतिबद्धता।
- साइबर सुरक्षा और डिजिटल अर्थव्यवस्था के विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।
प्रभाव:
- अधिकांश देशों ने जलवायु नीतियों को सख्त किया।
- डिजिटल अर्थव्यवस्था में निवेश बढ़ा।
5. ब्यूनस आयर्स शिखर सम्मेलन (2018) - व्यापार और WTO सुधार
महत्वपूर्ण फैसले:
- WTO के सुधारों पर ध्यान केंद्रित करने की सहमति।
- अमेरिका-चीन व्यापार विवाद को हल करने के लिए बातचीत की रूपरेखा।
प्रभाव:
- व्यापार विवादों को कम करने के प्रयास हुए।
- बहुपक्षीय व्यापार सहयोग को बल मिला।
6. रियाद शिखर सम्मेलन (2020) - COVID-19 संकट और आर्थिक पुनरुद्धार
महत्वपूर्ण फैसले:
- वैश्विक स्वास्थ्य सहयोग को मजबूत करने के लिए निर्णय।
- आर्थिक पुनरुद्धार के लिए 5 ट्रिलियन डॉलर की सहायता योजना।
- डिजिटल अर्थव्यवस्था और कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर निवेश बढ़ाने का निर्णय।
प्रभाव:
- COVID-19 टीकों के अनुसंधान और वितरण में तेजी आई।
- वैश्विक आर्थिक सुधार में मदद मिली।
7. नई दिल्ली शिखर सम्मेलन (2023) - सतत विकास और डिजिटल समावेशन
महत्वपूर्ण फैसले:
- सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने के लिए नई योजनाओं की घोषणा।
- डिजिटल भुगतान प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए भारत के UPI मॉडल को अपनाने की पहल।
- जलवायु वित्तपोषण के लिए नई रणनीतियाँ।
प्रभाव:
- डिजिटल समावेशन पर वैश्विक ध्यान केंद्रित हुआ।
- विकासशील देशों के लिए आर्थिक अवसर बढ़े।
8. ब्राज़ील शिखर सम्मेलन (2024) - जलवायु कार्रवाई और वैश्विक समावेशन
महत्वपूर्ण फैसले:
- जलवायु वित्तपोषण के लिए अधिक फंडिंग की प्रतिबद्धता।
- वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के लिए नीतियाँ।
- स्वास्थ्य आपात स्थितियों से निपटने के लिए वैश्विक साझेदारी।
प्रभाव:
- विकासशील देशों को जलवायु अनुकूलन में सहायता मिली।
- आपूर्ति श्रृंखला की स्थिरता सुनिश्चित करने के प्रयास बढ़े।
9. दक्षिण अफ्रीका शिखर सम्मेलन (2025) - वैश्विक आर्थिक सुधार और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन
महत्वपूर्ण फैसले:
वैश्विक आर्थिक सुधार को गति देने के लिए नई नीतियाँ।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डिजिटल परिवर्तन के लिए वैश्विक मानक स्थापित करने का संकल्प।
स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए अधिक निवेश।
प्रभाव:
वैश्विक अर्थव्यवस्था में डिजिटल बदलाव को बल मिला।
स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों में नए अवसर बढ़े।
निष्कर्ष
G-20 शिखर सम्मेलन वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक फैसलों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इन सम्मेलनों में लिए गए निर्णयों का प्रभाव दीर्घकालिक होता है और यह विश्व अर्थव्यवस्था, व्यापार, जलवायु परिवर्तन, डिजिटल तकनीक और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है।
G-20 के भविष्य को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि यह मंच वैश्विक चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण रहेगा। जलवायु परिवर्तन, डिजिटल अर्थव्यवस्था और आर्थिक असमानता जैसी समस्याओं के समाधान में G-20 की भूमिका आगे भी बढ़ती रहेगी।