MGNREGA: ग्रामीण रोजगार की गारंटी

 

MGNREGA: ग्रामीण रोजगार की गारंटी

MGNREGA

प्रस्तावना

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ की अधिकांश आबादी गाँवों में निवास करती है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने और गरीबी उन्मूलन के लिए सरकार ने कई योजनाएँ शुरू की हैं, जिनमें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) सबसे प्रमुख है। यह योजना 2 फरवरी, 2006 को लागू की गई थी और इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में 100 दिन का रोजगार सुनिश्चित करना है।

MGNREGA न केवल बेरोजगारी दूर करने में सहायक है, बल्कि यह ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण और सामाजिक सुरक्षा को भी बढ़ावा देता है। इस लेख में हम MGNREGA के उद्देश्य, लाभ, चुनौतियाँ, सरकार की भूमिका और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

MGNREGA क्या है?

MGNREGA (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) भारत सरकार की एक कानूनी रोजगार गारंटी योजना है, जिसके तहत प्रत्येक ग्रामीण परिवार को साल में कम से कम 100 दिन का रोजगार मिलने की गारंटी दी जाती है। इस योजना के तहत अकुशल श्रमिकों को सार्वजनिक कार्यों जैसे सड़क निर्माण, जल संरक्षण, वनीकरण और कृषि संबंधित कार्यों में रोजगार दिया जाता है।

महत्वपूर्ण विशेषताएँ:

1.  कानूनी अधिकार: MGNREGA एक कानूनी अधिकार है, जिसका मतलब है कि अगर सरकार रोजगार नहीं दे पाती, तो बेरोजगारी भत्ता देना होगा।

2. मजदूरी का भुगतान: मजदूरी सीधे श्रमिकों के बैंक खातों में भेजी जाती है, जिससे भ्रष्टाचार कम होता है।

3. महिलाओं की भागीदारी: कम से कम 33% रोजगार महिलाओं के लिए आरक्षित है।

4. पारदर्शिता: सभी जानकारी MGNREGA की वेबसाइट पर उपलब्ध होती है, जिससे पारदर्शिता बनी रहती है।

MGNREGA के उद्देश्य

1. ग्रामीण बेरोजगारी कम करना – गाँवों में रोजगार के अवसर पैदा करना।

2. गरीबी उन्मूलन – ग्रामीण परिवारों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना।

3. महिला सशक्तिकरण – महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाना।

4. ग्रामीण विकास – सड़क, तालाब, कुएँ और अन्य सार्वजनिक संरचनाओं का निर्माण करना।

5. प्रवासन रोकना – ग्रामीणों को शहरों की ओर पलायन से रोकना।

MGNREGA के लाभ

1.  आर्थिक सुरक्षा

  • ग्रामीण परिवारों को न्यूनतम मजदूरी मिलती है, जिससे उनकी आय में स्थिरता आती है।
  • कोविड-19 जैसे संकट के समय में MGNREGA ने लाखों लोगों को रोजगार दिया।

2. ग्रामीण बुनियादी ढाँचे का विकास

  • इस योजना के तहत तालाब, कुएँ, सड़कें और नहरें बनाई जाती हैं, जिससे कृषि और जल संरक्षण को बढ़ावा मिलता है।

3. महिलाओं को बराबरी का मौका

  • MGNREGA में एक-तिहाई रोजगार महिलाओं के लिए आरक्षित है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।

4. भ्रष्टाचार में कमी

  • डिजिटल भुगतान और बायोमेट्रिक उपस्थिति से भ्रष्टाचार कम हुआ है।

5. सामाजिक समानता

  • इस योजना में SC/ST और गरीब परिवारों को प्राथमिकता दी जाती है, जिससे सामाजिक न्याय को बल मिलता है।

 

चुनौतियाँ और समस्याएँ

हालाँकि MGNREGA ने ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कई चुनौतियाँ भी हैं:

1. मजदूरी में देरी

कई राज्यों में मजदूरी समय पर नहीं मिलती, जिससे श्रमिकों को परेशानी होती है।

2. भ्रष्टाचार और गबन

कुछ क्षेत्रों में नकली मजदूरों की सूची बनाकर धन की हेराफेरी की जाती है।

3. काम की गुणवत्ता

कई बार सार्वजनिक कार्यों की गुणवत्ता खराब होती है, जिससे योजना का उद्देश्य पूरा नहीं हो पाता।

4. राजनीतिक हस्तक्षेप

कुछ राज्यों में MGNREGA के फंड का दुरुपयोग राजनीतिक लाभ के लिए किया जाता है।

5. डिजिटल असमानता

ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट और बैंकिंग सुविधाओं की कमी के कारण कई लाभार्थियों तक पैसा नहीं पहुँच पाता।

सरकार की भूमिका और सुधार

MGNREGA को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं:

1. डिजिटल भुगतान प्रणाली (DBT) को मजबूत किया गया है।

2. जॉब कार्ड और आधार लिंकिंग से पारदर्शिता बढ़ी है।

3. ग्राम सभाओं को अधिक अधिकार दिए गए हैं, ताकि स्थानीय स्तर पर निगरानी हो सके।

क्या MGNREGA सफल है?

MGNREGA ने ग्रामीण भारत में रोजगार, आर्थिक सुरक्षा और विकास को बढ़ावा दिया है। हालाँकि, भ्रष्टाचार, देरी और कार्यान्वयन की कमजोरियाँ अभी भी बड़ी चुनौतियाँ हैं। अगर सरकार पारदर्शिता, तकनीकी सुधार और जवाबदेही पर ध्यान दे, तो MGNREGA भारत के ग्रामीण विकास में और भी बड़ी भूमिका निभा सकता है।

"MGNREGA सिर्फ एक रोजगार योजना नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत की आर्थिक रीढ़ है।"

 

 विभिन्न समाचार पत्रों और शोध आलेखों से जानकारी

 

 

 

 

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